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मुकेश बोले- Health Department में की गईं सभी खरीद पर जारी हो श्वेत पत्र

मामले की हाईकोर्ट के पीठासीन न्यायाधीश या फिर कोर्ट की निगरानी में जांच करवाए

शिमला। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बीजेपी शासन में स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में हुई तमाम खरीददारियों पर राज्य सरकार ‘श्वेत पत्र’ जारी करे और साथ ही सरकार हाल ही में बीजेपी (BJP) के प्रदेशाध्यक्ष के त्याग पत्र और स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी के पूरे प्रकरण की हाईकोर्ट (High Court) के पीठासीन न्यायाधीश से जांच करवाए या फिर हाईकोर्ट की निगरानी में पूरे मामले की तह तक जाकर बाकी गुनहगारों को सामने लाने के लिए कदम उठाए। कोरोना संकट में स्वास्थ्य विभाग में हुआ खरीद घोटाला जाहिर तौर पर देशद्रोह की परिभाषा में आता है, इसलिए इस मामले में सरकार को सरकारी तंत्र में विश्वास कायम करने के लिए व्यापक कदम उठाने चाहिए। लॉकडाउन (Lockdown) लगने के उपरांत अब तक जितनी भी खरीद बिना टैंडर प्रकिया अपनाए की गई है, उन्हें भी सार्वजनिक किया जाए।

बीजेपी अध्यक्ष का इस्तीफा प्रदेश की राजनीति में कोई छोटी घटना नहीं

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने दलील दी कि कुछ समय पहले ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को बदला गया था और उसके बाद स्वास्थ्य विभाग सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) के अधीन कार्य कर रहा है, इसलिए सरकार को सारे मामले से पर्दा उठाना चाहिए। बीजेपी अध्यक्ष का इस्तीफा प्रदेश की राजनीति में कोई छोटी घटना नहीं है, इसकी तारें स्वास्थ्य घोटाले के साथ जुड़ी हुई हैं। इसलिए शुरूआत से अब तक हुए घटनाक्रम जिसमें, ‘पत्र बम’ से लेकर अब तक, तमाम घटनाक्रमों को जांच के दायरे में लाना चाहिए।

आईजीएमसी प्रिंसिपल को हटाने पर भी सरकार स्थिति नहीं कर पाई साफ

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस ने विधान सभा के भीतर भी स्वास्थ्य खरीद और सीएमओ के माध्यम से सवा सौ करोड़ रुपए के खरीद के मामले को प्रमुखता से उठाया था और उसके बाद लगातार स्वास्थ्य विभाग के घोटालों से प्रदेश में तांडव मचा हुआ है। सरकार के नाक तले प्रदेश सचिवालय में सैनिटाइजर खरीद के मसले में घपलेबाजी हुई, जिस पर सरकार द्वारा जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। पीपीई (PPE) किट्स की खरीद को लेकर भी संशय बरकरार है। हाल ही में सरकार ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) के प्रिंसिपल को भी एकाएक हटाने के मामले में स्थिति साफ नहीं की है और यह धारणा है कि इसकी पृष्ठभूमि में भी कोई बड़ी खरीद तो नहीं है, जबकि इससे पहले आयुर्वेद विभाग में भी खरीद में गड़बड़ियां सामने आई थी।

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