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9 नहीं 2 दिन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन सूरत से पहुंची सीवान, 3800 ट्रेनों में से केवल 4 का सफर रहा 72 घंटे से अधिक: रेलवे

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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के गलत रूट पर जाने और लेटलतीफी के आरोपों को रेलवे ने खारिज किया है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शुक्रवार को कहा कि अब तक चली 3,800 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में से महज 4 को ही गंतव्य तक पहुंचने में 72 घंटे से अधिक समय लगा है।

इससे पहले एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन सूरत से सीवान 9 दिनों में पहुंची। रेलवे ने इसे फेक न्यूज बताते हुए कहा कि ट्रेन दो दिन में ही गंतव्य तक पहुंच गई थी। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा, एक मई से अभी तक 3,840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों ने 52 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को गंतव्य तक पहुंचाया। 

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि 10 प्रतिशत से कम गाड़ियां दो से चार घंटे लेट हुईं जबकि 9० प्रतिशत श्रमिक स्पेशल निर्धारित समय पर गंतव्य पहुंचीं। उन्होंने कहा कि चार ट्रेनें मणिपुर में जिरीबाम और त्रिपुरा में अगरतला जा रहीं थीं। भूस्खलन के कारण पटरियों पर पानी भर गया था जिससे गाड़ियों को 12 घंटे तक रोकना पड़ा था। 

उन्होंने यह भी बताया कि रेलवे ने उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ दिनों से डेमू मेमू ट्रेनों को भी चलाया गया है ताकि मजदूरों को उनके गृहनगर और गांव के निकटतम संभव स्थान तक पहुंचाया जा सके।

गाड़ियों के मार्ग परिवर्तन का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 80 प्रतिशत गाड़ियां उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए चलाई गईं। 20 से 24 मई के बीच राज्यों की मांग बहुत अधिक रही। इससे रोज़ाना 260 से 279 तक ट्रेनें चलानीं पड़ी जिनमें 90 प्रतिशत ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार की थीं। 

प्रारंभिक स्टेशन पर प्रशासकीय कारणों से गाड़यिों को दोपहर दो बजे से मध्यरात्रि के बीच दस घंटे की अवधि में 5-5 मिनट के अंतर पर चलाना पड़ा जिससे ट्रैक पर भारी दबाव पैदा हो गया। इस कारण 71 गाड़ियों के मार्ग में बदलाव करना पड़ा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग कम होने लगी है लेकिन ये गाड़ियां तब तक चलेंगी जब तक इनकी मांग आती रहेगी।