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झारखंड के पहले विद्युत शवदाहगृह का ट्रायल हुआ सफल, 30 मिनट में शव हुआ खाक

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पिछले एक दशक से बंद पड़ा झारखंड का एकमात्र हरमू विद्युत शवदाहगृह एक बार फिर से बनकर तैयार हो गया है। नई मशीन के लगाये जाने के बाद शुक्रवार को इसका सफल ट्रायल किया गया। इसके लिए रांची नगर निगम द्वारा रिम्स से लावारिस शव की मांग की गयी थी, जिसकी अनुमति के बाद शुक्रवार को दोपहर करीब एक बजे रिम्स से लाये लावारिस शव को जलाया गया। परीक्षण में शव करीब 30 मिनट में जल कर खाक हो गया।
इस बाबत मेयर आशा लाकड़ा ने बताया कि नगर निगम के सहयोग से विद्युत शवदाहगृह मारवाड़ी सहायक समिति द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया है। समिति ने इसका नाम मोक्षधाम दिया गया है। 11 साल पहले बने इस शवदाहगृह में पूर्व में जहां शव बिजली से जलाये जाते थे, वहीं अब यहां शव गैस से जलाया जायेगा। शुरुआत में यहां गैस सिलेंडर से ही बॉडी जलेगी। बाद में पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति यहां की जाएगी।
वहीं, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि काफी दिनों के प्रयास के बाद हम इसमें सफल हुए है। हरमू मुक्तिधाम शहर के बीचों-बीच है। ऐसे में शव को जलाने के लिए एक तो लकड़ी की कमी हो जाती थी, दूसरा लकड़ी से जाने से पर्यावरण को भी काफी नुकसान होता था। रांची नगर निगम और मारवाड़ी सहायक समिति के प्रयास से अब कोरोना काल में भी किसी शव को जलाने में परेशानी नहीं होगा।
कोरोना आया तो बनकर तैयार हुआ शवदाहगृह
देश में कोरोना के दस्तक देने के साथ ही उपायुक्त राय महिमापत रे ने नगर निगम को पत्र लिखा था। इसमें उपायुक्त ने लिखा था कि विद्युत शवदाहगृह को चालू करवाया जाये, क्योंकि अगर किसी का निधन कोरोना संक्रमण के कारण होता है, तो इस शवदाहगृह के चालू रहने से अंतिम संस्कार में काफी सुविधा होगी। फिर इसे चालू कराने को लेकर निगम के अधिकारी रेस हुए।

हरमू विद्युत शवदाहगृह की कुछ बातें
- शव को जलने में लगेगा 15 से 20 मिनट
- एक बार में दो शव जलाने की सुविधा
- शव को जलाने में तीन से चार हजार का आएगा खर्च
- एक गैस सिलिंडर में जलेगा एक शव
- अंतिम संस्कार की सारी विधियां पूरी करने की व्यवस्था भी मिलेगी
- बिजली और गैस दोनों से मिलकर चैंबर को किया जाएगा गर्म

हिन्दुस्तान ने उठाया था मुद्दा
कोरोना महामारी के बीच हरमू विधुत शवदाहगृह बंद होने का मुद्दा सबसे पहले आपके अखबार हिन्दुस्तान ने उठाया था। इसके बाद रांची नगर निगम ने काम में तेजी लाते हुए सालों से लंबित पड़े काम को मारवाड़ी सहायक समिति की मदद से पूरा कराया।