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दो महीने से क्वारंटाइन सेंटर में कैद है युवक

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देश में कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन को दो माह से अधिक समय बीत चुका है। अब दैनिक जीवन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा है, पर क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे कोरोना संदिग्धों की जिंदगी तो जैसे रुकी हुई पड़ी हैं। यहां चहारदीवारी के बीच  कोरोना संदिग्ध जैसे कैदी बनकर रह रहे हैं। मानगो बस स्टैंड के समीप सामुदायिक क्वारंटाइन सेंटर में एक युवक पिछले करीब दो माह से एक कैदी की तरह रह रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि उसका अब तक एक बार भी सैंपल तक नहीं लिया गया है।
हर दिन घर भेजने को गिड़गिड़ाता है युवक
पंजाब के अमृतसर से अपने घर ओडिशा के कटक जाने के क्रम में इस 28 वर्षीय युवक अख्तर खान को मेरिन ड्राइव में पकड़ा गया था और छह अप्रैल को उसे मानगो बस स्टैंड समीपस्थ क्वारंटाइन सेंटर में डाल दिया गया। युवक ने बताया कि मेरिन ड्राइव पर उसकी थर्मल स्कैनिंग की गई थी, वह तब स्वस्थ था। इसके बाद से अब तक उसका एक बार भी जांच नमूना तक नहीं लिया गया है। हाल ही में ओडिशा के लिए प्रवासियों को भेजने व लाने का काम किया गया, पर इस युवक को घर भेजने पर किसी का ध्यान नहीं गया। अख्तर ने बताया कि वह हर दिन पदाधिकारियों से उसे घर भेजने के लिए गिड़गिड़ाता है, पर हर कोई लॉकडाउन की बात कहकर साफ मना कर देता है। उसके परिवार वाले काफी चिंतित हैं।
10 दिन पहले आ गई थी रिपोर्ट पर अब तक नहीं छोड़ा गया
इसी सेंटर में सात युवकों का एक और दल भी पिछले 15 दिनों से रह रहा है। पश्चिम बंगाल से अपने घर बहरागोड़ा जाने के क्रम में इन युवकों को भी मानगो बस स्टैंड समीप स्थित क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। इनमें से एक युवक प्रकाश मुर्मू ने बताया कि उन सभी की करीब 10 दिन पूर्व ही रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है, पर लॉकडाउन की बात कहते हुए उन्हें अब तक छोड़ा नहीं जा रहा है।
पिछले चार दिनों नहीं मिल रही चाय
युवकों ने बताया कि सेंटर में भोजन का स्तर काफी खराब है। सुबह नाश्ते में तला हुआ चूड़ा दिया जाता है। फल तो दिया ही नहीं जाता। पिछले चार दिनों से चाय भी बंद है। युवकों ने बताया कि अगर किसी को ज्यादा भूख लगी हो और वह थोड़ा अतिरिक्त खाना मांग ले तो नहीं दिया जाता। कहा जाता है कि यह कोई होटल नहीं है।