Covid-19:दो टाइप का होता है कोरोना वायरस, जानिए कौन-सा है सबसे खतरनाक
by Published By: Manju Mamgain |कोरोना वायरस का अब तक सटीक इलाज नहीं मिल पाया है, वहीं दूसरी ओर इस वायरस के बार-बार रूप बदलने की बात भी सामने आ रही है, जो सभी को चिंतित करती है। दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर कई वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक 103 संक्रमित लोगों में कोरोना वायरस के दो प्रकार होने की जानकारी मिली है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोरोना वायरस अलग-अलग रूप में फैल रहा है। आइए इस बारे जानते हैं कि कोरोना वायरस के कितने प्रकार सामने आए हैं, इसमें से कौन सा वायरस से ज्यादा खतरनाक हो सकता है -
कोरोना वायरस के दो प्रकार
वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस हमेशा अपने रूप बदलते रहते हैं। खासतौर पर इस तरह के आरएनए वायरस जैसे कि कोरोना वायरस, सार्स-COV-2 आदि। एम्स के डॉ. अजय मोहन के अनुसार, जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो यह उसकी श्वसन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करता है। यह सीधे फेफडों में जाकर अपने जैसे अनेकों वायरस बनाने लगता है, जिससे फेफडों की नलियों में ऑक्सीजन नहीं जा पाती है।
शोध के दौरान 103 मामलों से लिए गए सैंपल का अध्ययन कर बीजिंग के एक वैज्ञानिक द्वारा यह पता लगाया गया कि इन सैंपलों के वायरल जीनोम में परिवर्तन देखे गए। इन जीनोम में अंतर होने के आधार पर इससे दो प्रकार के कोरोना वायरस होने का पता लगा। एक वायरस को ‘एल’ टाइप माना गया और दूसरे को ‘एस’ टाइप माना गया।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि इनमें ‘एल’ टाइप वायरस सामान्य तौर पर जानवरों से मनुष्य में फैलता है, इसके बाद दूसरा ‘एस’ टाइप वायरस अचानक देखने को मिला, जो इतना खतरनाक नहीं, जितना कि ‘एल’ टाइप वायरस होता है।
वायरस के प्रकार की जानकारी क्यों जरूरी
वैज्ञानिकों के लिए वायरस का प्रकार जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है ताकि उसके हिसाब से इसकी अलग-अलग वैक्सीन तैयार की जा सके। आज सभी देशों के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की विशेषताओं के आधार पर इसकी वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस के दोनों प्रकार में अंतर काफी कम है और ये प्रोटीन के उत्पादन को प्रभावित नहीं करते हैं। अधिकतर वैज्ञानिकों में यह मतभेद है कि कोरोना वायरस के सभी प्रकार एक-दूसरे से अलग हैं। हालांकि, इस बात से भी ज्यादातर वैज्ञानिक सहमत हैं कि कोरोना वायरस अपना रूप बदल रहा है और इनमें कुछ आनुवंशिक विविधताएं हो सकती हैं।
एम्स के डॉ. अजय मोहन के अनुसार, कोरोना वायरस के विविध लक्षण भी सामने आ रहे हैं। शुरू में सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार लक्षण बताए गए थे, लेकिन बाद में सिर दर्द, त्वचा पर निशान, सुंधने की क्षमता खोना आदि लक्षण भी सामने आए हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, हम भविष्य में और भी कई तरह के वायरस का हमला झेल सकते हैं। वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि जो व्यक्ति एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित होता है, उसे फिर से कोरोना वायरस होने की आशंका कम होती है। जिस प्रकार मौसमी फ्लू होने पर भी हर साल इस फ्लू में थोड़े बदलाव होते रहते हैं, जिससे लोग संक्रमित होते हैं। इससे कई लोगों को पता ही नहीं लग पाता है कि पहले उन्हें यह फ्लू कैसे हुआ था। आने वाले वर्षों में भी हम नए कोरोनो वायरस के एक ही पैटर्न को देख सकते हैं, जो अपने रूप बदलते रहेगा।
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