चीन के खिलाफ लामबंद हुए दुनिया के ये चार बड़े देश, ब्रिटेन ने धमकी भी दी

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चीन अपनी हरकतों की वजह से पूरी दुनिया में घिरता जा रहा है. कोरोना वायरस की महामारी में चीन की भूमिका को लेकर पहले ही कई देश अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग कर चुके हैं. अब हॉन्ग कॉन्ग में नया सुरक्षा कानून लाने की चीन की कोशिश के खिलाफ कई देश एकजुट हो गए हैं.

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गुरुवार को यूके, यूएस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर चीन की आलोचना की और कहा कि हॉन्ग कॉन्ग में नया सुरक्षा कानून 1984 के ब्रिटेन-चीन के समझौते का उल्लंघन है और इससे उसकी आजादी पर खतरा पैदा होता है.

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1997 तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा हॉन्ग कॉन्ग 'वन कंट्री, टू सिस्टम' के तहत चीन को सौंप दिया गया था लेकिन उसे राजनीतिक और कानूनी स्वायत्तता भी दी गई थी. हालांकि, चीन नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के जरिए हॉन्ग कॉन्ग की स्वतंत्र कानूनी व्यवस्था को खत्म कर देना चाहता है. हॉन्ग कॉन्ग में अपराधियों को चीन प्रत्यर्पित करने वाले कानून के विरोध में कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन हुए थे. दुनिया भर में हो रहे विरोध के बावजूद चीन दलील देता है कि शहर में अपराध, आतंकवाद और विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप को रोकने के मकसद से यह कानून लाया जा रहा है.

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चारों देशों ने एक संयुक्त बयान में बीजिंग के कदम पर चिंता जताते हुए कहा, हॉन्ग कॉन्ग अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ फलता-फूलता रहा है. नए सुरक्षा कानून से हॉन्ग कॉन्ग के लोगों की स्वतंत्रता कम होगी और हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्तता और इसे समृद्ध बनाने वाली पूरी व्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी.

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चीन की संसद ने हॉन्ग कॉन्ग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर आगे बढ़ने के फैसले को हरी झंडी दे दी है. तमाम विश्लेषकों और ऐक्टिविस्ट को डर है कि इससे वैश्विक आर्थिक राजधानी के तौर पर खुद को स्थापित कर चुके हॉन्ग कॉन्ग का अर्द्ध स्वायत्तता का दर्जा छिन जाएगा.

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ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा, हम चीन से मांग करते हैं कि वह अपने कदम पीछे खींच ले. राब ने आगाह किया कि अगर चीन कानून लागू करता है तो वह ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट होल्डर्स (BNO) का दर्जा बदल देगा. इसके बाद, हॉन्ग कॉन्ग में रह रहे तमाम ब्रिटिश पासपोर्ट होल्डर 6 महीने से ज्यादा वक्त के लिए ब्रिटेन में रह सकेंगे और बाद में उनके लिए नागरिकता का रास्ता भी खोला जा सकता है.

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यूके, यूएस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने साझा बयान में कहा कि नया कानून ब्रिटेन के साथ हुए समझौते में शामिल की गई प्रतिबद्धताओं का सीधा उल्लंघन है.

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हॉन्ग कॉन्ग में लोगों के मन में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है. बयान में कहा गया, हमें इस बात की बहुत चिंता है कि इस कदम से हॉन्ग कॉन्ग के समाज में गहरे मतभेद पैदा हो जाएंगे.

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चारों देशों ने बीजिंग से हॉन्ग कॉन्ग के लोगों और वहां की सरकार के साथ मिलकर काम करने और समझौते की शर्तों का सम्मान करने की अपील की है.

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जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा कि यूरोपीय यूनियन भी इस बात से सहमत है कि हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्तता को कम नहीं किया जाना चाहिए. चीन से उम्मीद की जाती है कि वह 'वन कंट्री, टू सिस्टम' का सम्मान करेगा.