https://images1.livehindustan.com/uploadimage/library/2020/05/29/16_9/16_9_1/_1590734663.jpg

Exclusive Interview: महाराष्ट्र के पूर्व CM देवेंद्र फडणवीस बोले- मजबूती के साथ निभाना चाहते हैं विपक्ष की भूमिका

by

कोरोना वायरस संकट के बीच महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक उथल-पुथल भी जारी है। राज्य की गठबंधन सरकार के शीर्ष नेताओं की बैठक हो चुकी है तो बीजेपी नेता राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुके हैं। वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव सरकार को गिराने की कोशिशों के आरोपों को सिरे से नाकार दिया है। हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार 'हिन्दुस्तान टाइम्स' को टेलिफोन के जरिए दिए गए इंटरव्यू में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार फैसले लेने में सक्षम नहीं है। पढ़ें, पूर्व सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस का इंटरव्यू:

सवाल:  कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति में बीजेपी महाराष्ट्र में राजनीति कर रही है?

जवाब: बीजेपी कोई राजनीति नहीं कर रही। राहुल गांधी रोजाना केंद्र को घेरते हुए बयान देते हैं। राहुल अपनी सरकार के दौरान के असफलताओं को छिपाते हुए सरकार को घेरते हैं। यह राजनीति है। हम राज्य सरकार को मदद कर रहे हैं। केंद्र सरकार भी महाराष्ट्र सरकार की मदद करने में लगी हुई है। केंद्र ने राज्य को 28 हजार करोड़ की मदद दी है। मैं राजनीति करने के लिए कांग्रेस और एमवीए सरकार को दोषी मानता हूं क्योंकि कोरोना वायरस के प्रसार पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। वे कोरोना पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहते हैं क्योंकि 37% पॉजिटिव मामले महाराष्ट्र से हैं और 41% मौतें हुई हैं। मुंबई में उन्होंने टेस्टिंग की संख्या में कमी लाई है, फिर भी 5 फीसदी की तुलना में पॉजिटिव मरीजों की दर 32 फीसदी है। 17 मई से 24 तक कोरोना मरीजों की पॉजिटिव दर 41 फीसदी है। अस्पतालों में कोई बिस्तर नहीं है, कोई एम्बुलेंस नहीं हैं, लोग सड़कों पर मर रहे हैं।

सवाल: क्या बीजेपी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लागू कराना चाहती है? इसको लेकर बयान दिए गए हैं। यहां तक कि नारायण राणे ने मंगलवार को राज्यपाल से भी मुलाकात की थी। 

जवाब: हमारा आधिकारिक रुख यह है कि हमने राष्ट्रपति शासन की मांग नहीं की है। बीजेपी राज्य में सरकार नहीं बनाना चाहती क्योंकि यह राजनीति का सही समय नहीं है। अभी महामारी से लड़ना ज्यादा जरूरी है। हम गरीबों, किसानों की मदद करने और लोगों की मदद करने के लिए अपनी सारी ऊर्जा का उपयोग करना चाहते हैं। मुझे नहीं लगता कि यह वह समय है जब हमें सरकार बदलने या राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में सोचना चाहिए।
 
सवाल: मंगलवार को आपने कहा कि सरकार अपने आंतरिक विरोधाभासों के कारण गिर जाएगी। क्या आप इस बारे में और जानकारी देंगे?

जवाब: सरकार में बहुत विरोधाभास है। वास्तव में ये तीनों दल एक साथ अपने आप में एक विरोधाभास हैं। शिवसेना का वैचारिक दृष्टिकोण कांग्रेस और एनसीपी के विपरीत है। सिर्फ सरकार बनाने के लिए वे एक साथ आए हैं। लेकिन वैचारिक और सांस्कृतिक अंतर उन्हें एक दूसरे के साथ सामना करने की अनुमति नहीं देगा। वे पोस्टिंग पर लड़ रहे हैं। उन्हें साथ रखने की एकमात्र चीज सत्ता की लालसा है। ऐसा गठबंधन, जहां सभी के स्वार्थ हैं, यह लंबे समय तक नहीं रह सकता है।

सवाल: क्या विधानसभा में 105 विधायकों वाली बीजेपी ने राज्य सरकार को कोई सुझाव दिए? या फिर बातचीत पूरी तरह से बंद है।

जवाब: हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री को एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने अब तक दो बार बैठक की है। राज्य में दो महीने तक कोई बैठक नहीं हुई। अंत में, एक बैठक जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से सीएम शामिल हुए और हमने अर्थव्यवस्था को कैसे पुनर्जीवित किया जाए, और कैसे और अधिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाए और लॉकडाउन से बाहर निकलने की रणनीति की योजना के बारे में रचनात्मक सुझाव दिए। हमने लॉकडाउन के दौरान किसानों की दुर्दशा के बारे में भी बात की और सुझाव दिया कि उनकी खरीफ फसल की खरीद कैसे की जानी चाहिए। सीएम ने हमें आश्वासन दिया था, लेकिन कुछ नहीं किया। मैंने उनसे फोन पर बात की और नियमित रूप से पत्र लिखे, लेकिन मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हालांकि, मैं सुझाव देता रहूंगा। सत्तारूढ़ दल का कर्तव्य है कि वह सभी को साथ लेकर चलें।

सवाल: आपने कहा कि एमवीए सरकार निर्णायक नहीं है और फैसले लेने से डरती है। क्या यह सीएम या पूरे एमवीए के खिलाफ टिप्पणी है?

जवाब: ऐसे समय में आपको एक बहुत मुखर राजनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता होती है, जिसे आगे आकर नेतृत्व करना चाहिए। आपको साहसिक निर्णय लेने होंगे, ऐसा वक्त आएगा, जब आपके निर्णयों की आलोचना होगी, लेकिन अगर आपको लगता है कि वे राज्य के हित में हैं तो आपको साहसिक निर्णय लेने से नहीं डरना चाहिए। महाराष्ट्र में आप देख सकते हैं कि पूरा राज्य नौकरशाही द्वारा चलाया जाता है। सब अपने तरीके से काम कर रहे हैं। अंतत: यह पूरी सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन प्राथमिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की है।

सवाल: पिछले हफ्ते आपने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार के पास आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने की योजना भी नहीं है। वे कौन से अन्य क्षेत्र हैं जहां आपको लगता है कि सरकार विफल रही है?

जवाब: हमने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि यदि हम अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करना चाहते हैं और ऐसा करने का सही समय है। ऐसे में हमें हर क्षेत्र में हितधारकों की एक टीम बनानी चाहिए और व्यवसायों को फिर से शुरू करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के लोगों को भी शामिल करना चाहिए। उन्हें एक निष्कर्ष पर आने दें कि कितना वापस शुरू किया जा सकता है। यूं तो लॉकडाउन आवश्यक है, लेकिन यह सरकार की स्थायी नीति नहीं हो सकती है। यह महामारी को नियंत्रित करने का एक उपाय है। सरकार के पास एक एग्जिट प्लान भी होना चाहिए। जहां भी संभव होगा हमें नौकरियों को बचाना और बनाना होगा क्योंकि इससे हमारी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा और महाराष्ट्र आर्थिक रूप से प्रगतिशील राज्य होने के नाते अधिक प्रभावित होगा।

सवाल: पीछे मुड़कर देखें तो लगता है कि शिवसेना के साथ सत्ता के बंटवारे की बातचीत बेहतर तरीके से हो सकती थी?

जवाब: यह अब अतीत में है। राजनीति में इफ और बट नहीं होता। हमें अब वास्तविकता का सामना करना होगा कि हम विपक्ष हैं और हम एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं।