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लेह-लद्दाख में फंसे 60 प्रवासी मजदूर आज शाम दिल्ली होते हुए रांची पहुंचेंगे

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लेह-लद्दाख में फंसे झारखंड के 60 प्रवासी श्रमिकों को एयर लिफ्ट करके रांची लाया जा रहा है। श्रमिकों ने लेह एयरपोर्ट पर चेक इन कर लिया है। सरकार की ओर से मजदूरों को एयरलिफ्ट करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य बन गया है। लेह में फंसे श्रमिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद कमान संभाली। मुख्यमंत्री के अब तक के कार्यक्रम के तहत वे खुद रांची एयरपोर्ट पर प्रवासी श्रमिकों का स्वागत करने मौजूद रह सकते हैं। 

ऐसे हो सका संभव…
10 मई : बटालिक- कारगिल सेक्टर में बीआरओ प्रोजेक्ट में काम करने वाले फंसे प्रवासी मजदूरों ने ट्विटर पर सीएम से वापसी के लिए मदद मांगी। मुख्यमंत्री ने लद्दाख संघ के स्थानीय प्रशासन से सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। इसके बाद झारखंड कंट्रोल रूम उनसे संपर्क करता रहा है और उन्हें राज्य पोर्टल और ऐप पर पंजीकृत कराया कर पूरा विवरण जुटाया। सीएम के अनुरोध के बाद बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन की ओर से मजदूरों को नियमित रूप से भोजन दिया किया गया। 12 मई को मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिख कर अंडमान में फंसे झारखंड के श्रमिकों को राज्य सरकार के खर्चे पर विमान से वापस लाने की अनुमति मांगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें केंद्र से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और 20 मई को मुख्यमंत्री हेमंत ने खुद अमित शाह को पत्र लिख कर लद्दाख, अंडमान और पूर्वोत्तर राज्यों में फंसे झारखंड के श्रमिकों की चार्टर प्लेन से वापसी की अनुमति मांगी। इस पर भी केंद्र की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला। इस बीच सीएम सोरेन की ओर से गठित एक छोटी टीम श्रमिकों की रोज की दिक्कतों को समझने के लिए लगातार संपर्क में थी।

इस बीच केंद्र सरकार की ओर से देश में वाणिज्यिक हवाई संचालन की अनुमति दी गई। इसके बाद सीएम ने 26 मई को व्यक्तिगत रूप से श्रमिकों की वापसी में जुड़े। उन्होंने एक टीम बनाई और गोर्गोडोह गांव, बटालिक, लेह, कारगिल में फंसे दुमका के 60 श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए विमान यात्रा की सभी औपचारिकताएं पूरी करने का काम सौंपा। 

26 से 28 मई के बीच
टीम ने सभी श्रमिकों के हर विवरणों को मैप किया, बीआरओ प्रोजेक्ट के संबंधित प्रमुख विजयक सौगत विश्वास, डिवीजनल कमिश्नर - लद्दाख, स्थानीय एनजीओ, श्रमिकों और लेह से दिल्ली और दिल्ली से रांची वाणिज्यिक उड़ानों का संचालन करने वाली एयरलाइन्स के साथ परिचालन समन्वय स्थापित किया गया। 

लद्दाख प्रशासन और बीआरओ की मदद से 28 मई की दोपहर सभी 60 श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच, थर्मल जांच हुई इसके बाद छह घंटे की बस यात्रा से श्रमिक बीआरओ की मदद से शाम 6 बजे सड़क यात्रा कर लेह के यात्री शिविर पहुंचाये गए।

सभी श्रमिक 29 मई दिन के 12 बजे स्पाइस जेट की फ्लाइट से रवाना हुए और दोपहर दो बजे दिल्ली पहुंचेंगे। यहां से आगे फ्लाइट से रांची के लिए उड़ान भरेंगे और शाम छह बजे दिल्ली से रांची आएंगे। मुख्यमंत्री पिछले 48 घंटे से इस ऑपरेशन का खुद समन्वय कर रहे हैं। सरकार ने इन श्रमिकों की यात्रा का पूरा खर्च करीब आठ लाख रुपये वहन किया है। 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह कहते आ रहे हैं कि उन्होंने लॉकडाउन में सबसे पहले वैघानिक रूप से श्रमिकों को ट्रेन से झारखंड वापस लाया है। उन्होंने सबसे पहले श्रमिकों की घर वापसी का मुद्दा उठाया। विभिन्न राज्यों में करीब 7.5 लाख पंजीकृत श्रमिकों में से अब तक 4.5 लाख श्रमिक झारखंड वापस लाये गए हैं।

उत्तर प्रदेश की दुर्घटना और बाद में छिटपुट घटनाओं में प्रवासी श्रमिकों की मौत से परेशान हुआ। विभिन्न राज्यों में फंसे झारखंड के श्रमिकों की सुरक्षित वापसी की दिशा में सरकार काम कर रही है। जल्द ही अंडमान से लगभग 320 श्रमिकों को वापस लाने के लिए दो विमानों का प्रबंध किया जा रहा है। - हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

खेती के लिए वापस लौटना जरूरी
घर पर खेती के लिए कोई नहीं है। हम हर साल खेती के लिए लौटते हैं। इस बार लॉकडाउन के कारण फंस गए। काम बंद हो गया और दूरगम क्षेत्र में फंसे होने के कारण परेशानी बढ़ गई। बीआरओ ने काम शुरू करा दिया है, इसलिए 150 में से 60 श्रमिक जिन्हें खेती के लिए लौटना है वह घर वापस आ रहे हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बहुत आभार। - जॉन पॉलस हांसदा, प्रवासी श्रमिक

लॉक डाउन के कारण बड़ी मुसीबत में फंस गए थे। खाने-पीने का संकट हो गया था। सरकार की मदद से मुश्किलें आसान हुईं। अब हम घर लौट रहे हैं। - रामेश्वर टुडू, श्रमिक

खेती बाड़ी के बाद काम के लिए लेह तक जाते हैं, ताकि परिवार का पेट भर सकें। फंसने से पूरे परिवार पर संकट खड़ा हो गया था। -छोटू मरांडी, श्रमिक