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लॉकडाउन में कोरोना वायरस से बचे, अब नई बीमारी ने किया लोगों को परेशान 

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कोरोना काल में लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन किया। ज्यादातर समय घर में गुजारा। ऐसे में लोग कोरोना से तो बच गए, अब एलर्जी, अस्थमा व सांस की दूसरी गंभीर बीमारियों ने घेर लिया। इसका कारण रहा साफ सफाई की कमी। घर में बीमारी को लेकर सावधानी न बरतना। नतीजतन बैक्टीरिया, वायरस और फंगस अस्थमा व सांस के मरीजों पर हावी हो रहे हैं।

घर के प्रोटोकॉल नहीं बदले
केजीएमयू पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक सांस के मरीजों को दो तरह से संक्रमण होता है। पहला बाहरी वातावरण से और दूसरा घर के भीतर से। लॉकडाउन से प्रदूषण में काफी कमी आई है। हवा व पानी की गुणवत्ता सुधरी है। ज्यादातर समय लोग घर में तो गुजार रहे हैं लेकिन घर के प्रोटोकॉल में तब्दीली नहीं की।

सफाई में कोताही
घर में कामवाली (मेड) ने आना बंद कर दिया। नतीजतन लोगों ने साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया। पालतू जानवरों की सफाई में भी कोताही बरती जा रही है। इसकी वजह से सांस संबंधी बीमारियां पनपी।

फोन पर दे रहे मरीजों को सलाह
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक उचित साफ-सफाई के अभाव में अस्थमा, एलर्जी व दूसरे सांस के रोगियों की परेशानी बढ़ी है। पालतू जानवर, पर्दे, कालीन, सोफे, फर से बनी तकिया और गद्दों से एलर्जी व अस्थमा के अटैक बढ़े हैं। 

धूल के कण से बढ़ा संक्रमण
डॉ. वेद के मुताबिक घरों में पालतू जानवरों के बालों से एलृजेंस निकलते हैं जो सांस के जरिए फेफड़ों में दाखिल होते हैं। सांस की नली में सूजन पैदा करते हें। मरीज को सर्दी-जुकाम, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, गले का संक्रमण बढ़ जाता है।

ये सावधानियां बरतें
-पालतू जानवरों को दो से तीन दिन में साबुन या शैपू से नहलाएं। जानवरों को एलर्जी, अस्थमा व सांस के मरीजों से दूर रखें
-तकिया, गद्दे और चादरों को रोज धूप में सूखाएं, कालीन को भी धूप में रखें
-झाडू से ज्यादा पोछे का इस्तेमाल सफाई में करें। इससे धूल व प्रदूषण के कण हवा में नहीं उड़ेंगे
-पंखे को गीले कपड़े से ही पोछे
-पर्दे व सोफे के कवर को साफ-सुथरा रखें
-घर में नमी न आने दें