चीन ने कोरोना पर कैसे पाया काबू? मुलेठी में छिपा हो सकता है रहस्य
by Published By: Madan Tiwari | नई दिल्ली, मदन जैड़ादुनिया कोरोना की महामारी से जूझ रही है लेकिन चीन ने इस पर आखिर कैसे काबू पाया, यह अब भी रहस्य बना हुआ है। भारतीय वैज्ञानिकों का मानना है कि चीन ने अपनी हर्बल चिकित्सा में मुलेठी के इस्तेमाल से इस बीमारी पर काबू पाया हो सकता है। इसलिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने आयुष विभाग के साथ मिलकर मुलेठी का कोविड रोगियों पर परीक्षण आरंभ कर दिया है। देश के कई केंद्रों पर ये परीक्षण शुरू हो चुके हैं।
मुलेठी के इस्तेमाल को लेकर कई तथ्य सामने आए हैं। एक, 2003 में जब सार्स शुरू हुआ था तो फ्रैंकफर्ट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी का एक शोध पत्र लांसेट में प्रकाशित हुआ था, जिसमें मुलेठी को सार्स वायरस के खिलाफ प्रभावी पाया गया।
दूसरे, फरवरी में कुछ रिपोर्ट सामने आई थीं कि चीन ने कोविड उपचार में अपनी जिस परंपरागत दवाओं का इस्तेमाल किया था, उसमें मुलेठी भी शामिल थी। कोविड के 87 फीसदी रोगियों को यह दवा प्रदान की गई जिससे वे स्वस्थ हुए। सीएसआईआर के वैज्ञानिक डा. राम विश्वकर्मा के अनुसार चीन में कोरोना संकट के दौरान मुलेठी की खपत में बढ़ोतरी देखी गई। उम्मीद है कि यह दवा कोविड उपचार में उपयोगी हो सकती है।
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चार फॉर्मूलों को परखा जा रहा
सीएसआईआर की प्रयोगशाला आईआईआईएम जम्मू के निदेशक डा. राम विश्वकर्मा के अनुसार मुलेठी समेत आयुष के चार फॉर्मूलों को वैज्ञानिक कसौटी पर परखा जा रहा है। इनके नतीजों से तय होगा कि यह दवा कितनी उपयोगी निकलती है। नेसारी ने कहा कि मुलेठी मूलत भारत की दवा है जिसका वर्णन चरक संहित में मिलता है। चीनी परंपरागत चिकित्सा में बाद में इसका इस्तेमाल हुआ।
क्लिनकल ट्रायल आरंभ
आयुष मंत्रालय के सलाहकार मनोज नेसारी ने कहा कि आयुर्वेद में मुलेठी का इस्तेमाल सूखी खांसी के लिए होता है। कोविड में सूखी खांसी होती है। शुरुआती अध्ययन इसके उपयोगी होने की ओर संकेत करते हैं। उन्होंने कहा क हमारे बहुकेंद्रीय क्लिनकल ट्रायल आरंभ हो चुके हैं। अगले दो महीनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह कितना उपयोगी साबित होगी।