स्कूलों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई चालू करने फीस वसूलने का नया हत्कण्डा – अग्रवाल

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विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री संदीप अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्कूलों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई चालू करने को फीस वसूलने का नया हत्कण्डा बतया। कॅरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण सभी स्कूल बंद है स्कूले केवल अपनी आर्थिक स्वार्थो के चलते ये कृत कर रहे है उसे बच्चो पर होने वाले इसके दुष्परिणामों से कोई लेना देना नहीं है। देश विदेश में हुए अनेक शोध बताते है की इससे बच्चो की सेहत व् व्यवहार पर गलत असर पड़ता है बच्चो के आँखो पर तो इसका सबसे ज़्यादा असर होता है। बच्चों में आम तौर पर अनुशाषन की कमी , तैयार उत्तर ,कार्यक्षमता कम होना , पढ़ाई का माहोल न होना , जरुरत से ज्यादा जानकारी होना जैसी शिकायतें आम है।

मोबाइल रेडिशन के चलते बच्चो में दिमाक कमजोर होना, टूमौर और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का भी खतरा है। वैज्ञानिक शोध निष्कर्ष को देखा जाए तो मोबाइल से जो रेडिएशन निकलता है वह बहुत हानिकारक होता है इससे पाचन शक्ति कमजोर और नींद कम आना की बीमारी चालू हो जाती है यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक शोध के अनुसार मोबाइल को ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

श्री अग्रवाल ने कहा की मोबाइल रेडिएशन के कारण छोटे बच्चों पर बहुत गहरा असर पड़ता है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के कारण बच्चों के दिमाग की कोशिकाओं को वृद्धि करने में प्रभावित होती है जिससे ट्यूमर विकसित हो सकता है इसलिए 15 साल से कम उम्र के बच्चों को कम से कम मोबाइल का इस्तेमाल करना चाहिए हाल ही में जवाहरलाल नेहरू कॉलेज के प्राध्यापक जितेंद्र बिहारी का कहना है कि मानव शरीर में तकरीबन 70% पानी होता है और जब यह मोबाइल के रेडिएशन उसे मिलते हैं तो शरीर का पानी सोख लेता है दिमाग में द्रव्य की मात्रा ज्यादा होती है और मोबाइल के रेडिएशन से इस द्रव्य की मात्रा को असंतुलित कर देती है जिससे कई प्रकार की बीमारियां होती है मोबाइल से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी से डीएनए के नष्ट होने का खतरा हो सकता है अल्जाइमर डायबिटीज रोग जैसी खतरनाक बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है।

श्री अग्रवाल ने आगे कहा की कल तक जब भी पालक स्कूलों में जाते थे तो टीचर्स उन्हें बच्चों को मोबाइल , लबटॉप ,टी वी से दूर रखने के सलहा देते थे पर अब अचानक मोबाइल पर पढ़ाई की बात कर रहें है। ये सब सिर्फ स्कूल संचालको के दबाव में हो रहा है। स्कूले केवल आपने आर्थिक लाभ देख रही है। कॅरोना लॉक डाउन के चलते पहले ही मध्यम वर्गी परिवारों की कमर तोड़ दी है वे फीस भी भरने में असमर्थ है ऐसे में उन पर बच्चे के लिए नया फ़ोन या लैपटॉप खरीदने का आनवश्यक बोझ पड़ेगा।अतः ऑनलाइन पढ़ाई पर तत्काल रोक लगे।

श्री अग्रवाल ने शिक्षण उपसंचालक के आदेश के बावजूद कई स्कूल sms तथा फ़ोन द्वारा पालको पर फीस भरने हेतु दबाव बना रहे है जो गलत है ऐसी स्कूलों पर तुरंत कार्यवाही की जानी चाइए। विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन ने लॉकडाउन के दौरान छात्रों की ३ माह की फीस माफ़ की जाये तथा शैक्षणिक वर्ष २०२० – २०२१ की स्कूलों की फीस में ५० % छूट दी जाए ऐसी मांग की है।