केरल: राज्यसभा सांसद और मातृभूमि के MD वीरेंद्र कुमार का दिल का दौरा पड़ने से निधन

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और केरल से राज्यसभा सांसद एम पी वीरेंद्रकुमार का गुरुवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। कोझीकोड के एक निजी अस्पताल में उनका कार्डिएक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। वह मातृभूमि मुद्रण और प्रकाशन कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूजपेपर्स सहित विभिन्न मीडिया संगठनों में शीर्ष पदों पर रह चुके थे।

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एमपी वीरेंद्र कुमार को गुरुवार रात 8.30 बजे कार्डियक अरेस्ट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने देर रात कोझिकोड के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ,शव को उनके गृह नगर कलपट्टा वायनाड में शुक्रवार सुबह ले जाया जाएगा। शाम को वहीं अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायणन के संरक्षण में अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने के बाद, वीरेंद्रकुमार 1968-70 के दौरान संयुक्ता समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने।

उन्होंने समाजवादी विंग के विभिन्न गुटों का नेतृत्व किया। वे शरद यादव द्वारा शुरू किए गए लोकतांत्रिक जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। वह 1987 में अपने गृहनगर कलपेट्टा से केरल विधानसभा के लिए चुने गए और 1991 तक विधायक रहे। उन्होंने केरल में वन मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन उन्होंने 48 घंटे बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह 1996 और 2004 में कोझिकोड से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री और 1997-98 में श्रम मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया।

उन्होंने 20 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें 'हैमवथ भोविल', 'बुद्धनते चिरि', अधिनिवंशतिनते अदियोजुक्कुकल 'और' रमंते दुखम 'शामिल हैं। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ यात्रा-वृतांत (हैमवथा भोविल) के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इसके अलावा उन्होंने वायलार पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते हैं। उन्होंने 1992-1993, 2003-2004 और 2011-2012 के बीच प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।

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