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जयललिता की प्रतिमा के साथ AIADMK के वरिष्ठ नेता (फाइल फोटो-PTI)

मेमोरियल नहीं बनेगा जयललिता का घर, भतीजे-भतीजी होंगे उत्तराधिकारी

कोर्ट का यह फैसला आने के बाद संपत्ति के विवाद का निपटारा हो गया है क्योंकि अदालत ने साफ कर दिया है कि जयललिता की संपत्तियों का अधिकारी कौन होगा. चूंकि जयललिता ने निधन से पहले संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर कुछ नहीं बताया था और न ही उनकी कोई संतान थी, इसलिए उनकी संपत्ति पर भतीजे और भतीजी अधिकार का दावा करते थे.

तमिलनाडु की एआईएडीएमके सरकार को बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा. सरकार पूर्व एआईएडीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री रहीं जे. जयललिता के पोज गार्डन आवास वेद निलयम को मेमोरियल में तब्दील करना चाहती है. हालांकि मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को एक फैसले में कहा कि सरकार अगर चाहे तो 10 मंजिले इमारत (वेद निलयम) के कुछ हिस्से को ही मेमोरियल में बदल सकती है.

जस्टिस एन किरूबकरन और जस्टिस अब्दुल कुधोस की बेंच ने फैसले में कहा कि जयललिता की भतीजी जे. दीपा और भतीजे जे. दीपक ही जया के सभी संपत्तियों के कानूनी अधिकारी (द्वितीय श्रेणी) होंगे. जयललिता की साल 2016 में मौत हो गई थी जिसके बाद संपत्ति के अधिकार को लेकर विवाद सामने आया था.

कोर्ट का यह फैसला आने के बाद संपत्ति के विवाद का निपटारा हो गया है क्योंकि अदालत ने साफ कर दिया है कि जया की संपत्तियों का अधिकारी कौन होगा. चूंकि जयललिता ने निधन से पहले संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर कुछ नहीं बताया था और न ही उनकी कोई संतान थी, इसलिए उनकी संपत्ति पर भतीजे और भतीजी अधिकार का दावा करते थे.

CM का कोई आधिकारिक आवास नहीं

मद्रास हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार चाहे तो पोज गार्डन को मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास बना सकती है क्योंकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का कोई आधिकारिक बंगला नहीं है. अब तक अधिकांश मुख्यमंत्री अपनी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल आधिकारिक आवास के रूप में करते आए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि अपने गोपालपुरम आवास में रहते थे जबकि जयललिता अपने पोज गार्डन वाले घर में रहती थीं. मौजूदा मुख्यमंत्री के. पलनीसामी अपनी सरकार के एक मंत्री के ग्रीनवेज रोड स्थित बंगले में रह रहे हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार अगर चाहे तो पोज गार्डन का कुछ हिस्सा जयललिता के मेमोरियल के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है.

ट्रस्ट बनाने चाहते हैं भतीजे-भतीजी

मद्रास हाईकोर्ट में दीपा और दीपक ने एक अर्जी लगाई थी जिसमें मांग की गई थी कि जयललिता की प्रॉपर्टी पर उन्हें अधिकार मिले. दोनों ने खुद को जयललिता की प्रॉपर्टी का वारिस बताया था. कोर्ट में दोनों ने बताया था कि वे जयललिता के नाम पर एक ट्रस्ट बनाना चाहते हैं और चैरिटी का काम करना चाहते हैं क्योंकि जयललिता को यह काफी पसंद था. इस बीच कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार अगर जयललिता की प्रॉपर्टी को लेना चाहती है तो उसे प्रॉपर्टी के कानूनी उत्तराधिकारी को भरोसे में लेना पड़ेगा और उन्हें इसकी क्षतिपूर्ति भी देनी होगी.

बीते 22 मई को सरकार ने जयललिता के आवास को अपने अधिकार में लेने के लिए एक अध्यादेश पारित किया था. सरकार ने जयललिता के नाम पर एक फाउंडेशन बनाने की भी योजना बनाई थी. फाउंडेशन में बतौर अध्यक्ष मुख्यमंत्री का नाम था. इसी फाउंडेशन के जिम्मे वेद निलयम को मेमोरियल में तब्दील करने का दायित्व सौंपा गया था.