आश्चर्य है Covid19 की लड़ाई में बुरी तरह विफल उद्धव सरकार के प्रदर्शन की प्रसंशा हो रही हैः फडणवीस
by Shivom Guptaनई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बुधवार को महाराष्ट्र की ' महा विकास अघाड़ी' के मुखिया उद्धव ठाकरे को आड़ों हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मंगलवार को उठाए गए सवालों का जवाब देने के लिए महा विकास अघाड़ी को कई बैठकें करनी पड़ीं हैं।
फडणवीस ने कहा कि अगर उन्होंने COVID19 के खिलाफ लड़ाई के लिए इतनी बैठकें की होतीं, तो राज्य को इतनी मुश्किलों में नहीं फंसा रहना पड़ता। फडणवीस ने आश्चर्य जताते हुए आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार में बैठे कुछ लोग खुद की प्रसंशा कर रहे हैं और महाराष्ट्र सरकार के प्रदर्शन की वाहवाही कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र भारत का सर्वाधिक कोरोनावायरस संक्रमित राज्य है, जिसका देश के कुल मरीजों में अकेले की हिस्सेदारी 33 फीसदी हैं, जहां देश में हुई कुल मौतों की 40 फीसदी मौतें हुईं हैं।
गौरतलब है देश में कोरोनावायरस संकट के बीच महाराष्ट्र में सियासी संकट भी तेजी गरमा रहा है। एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की गठबंधन सरकार पर संकट के बाद बादल मंडरा रहे हैं। मंगलवार को इसी मुद्दे पर फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था और उद्धव सरकार पर महामारी के खिलाफ लड़ाई में कमजोर करार देते हुए कहा था कि महाविकास अघाड़ी सरकार अभी भी केंद्र की ओर से उपलब्ध कराई गई आर्थिक मदद भी खर्च नहीं कर पाई है।
प्रेस कांफ्रेंस में फडणवीस ने कहा था, मैं यह समझ ही नहीं पा रहा हूं कि राज्य सरकार की प्राथमिकता क्या है, आज राज्य को सकारात्मक नेतृत्व चाहिए। मैं आशा करता हूं कि उद्धव ठाकरे उचित फैसले लेंगे। हालांकि उन्होंने महामारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य में सरकार को बदलने में रुचि से किनारा करते हुए कहा, हम कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ रहे हैं और इसके लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। हम सरकार को गिराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, यह सरकार अपने बोझ से ही गिर जाएगी।
उल्लेखनीय है गत सोमवार को राजनीतिक उठापटक के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार और वरिष्ठ भाजपा नेता नारायण राणे की महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से अलग-अलग मुलाकात की है, जिसके बाद महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को लेकर राजनीतिक हलचल और तेज हो गई।
भाजपा ने इसी दौरान राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार को देखते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर डाली, लेकिन कांग्रेस ने पूरी कवायद को भाजपा के सत्ता से बाहर होने की छटपटाहट से जोड़कर अलग हो गई।
मामला बढ़ा तो शिवसेना नेता संजय राउत को भी बचाव में उतरना पड़ा और उन्होंने बयान जारी कर कहा कि सरकार मजबूत है, चिंता का कोई विषय नहीं है। हालांकि महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के एक विरोधाभासी बयान देकर राजनीतिक तूफान में बदल दिया।
दरअसल, गत मंगलवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मीडिया से चर्चा के दौरान राहुल गांधी से जब महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के संकट से निपटने में उद्धव सरकार के विफल रहने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र सरकार को चलाने में बड़ी भूमिका में नहीं है। राहुल ने ये भी कहा कि सरकार चलाने या समर्थन देने में अंतर होता है।
जबकि सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र में सत्तासीन 'महा विकास अघाड़ी' सरकार में कांग्रेस एक महत्वपूर्ण का हिस्सा है और सरकार में शामिल कांग्रेस के पास कई प्रमुख मंत्रालय हैं। राहुल गांधी के बयान पर हंगामा होना तय था।
पूर्व सीएम फडणवीस ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं और उद्धव ठाकरे और शिवसेना पर करोना की विफलता का ठीकरा फोड़ दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से साहसिक फैसले लेने की अपील करते हुए कहा कांग्रेस महाराष्ट्र में सत्ता में रहकर ब्लेम गेम खेल रही है।
विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मॅट्रिमोनी में - निःशुल्क रजिस्टर करें !