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टिड्डी दलों ने फिर फैलाया आतंक, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद पहुंचा झांसी

टिड्डी दलों ने फिर फैलाया आतंक, राजस्थान और MP के बाद पहुंचा झांसी,



झांसी/बांदा : राजस्थान और मध्य प्रदेश में आतंक मचाने के बाद टिड्डियों का दल बुधवार को एक बार फिर उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंच गया। झांसी मंङल के कृषि उप निदेशक कमल कटियार ने बताया कि जालौन की सीमा के नजदीक झांसी की गरौठा तहसील के स्किल गांव के पास शाम करीब साढ़े चार बजे टिड्डियों का एक दल पहुंचा और उसे भगाने की कोशिश की जा रही है।

विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश 
इस बीच लखनऊ में जारी एक सरकारी बयान के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टिड्डी दल पर नियंत्रण करने के लिए प्रदेश के सीमावर्ती जनपदों जैसे— झांसी, ललितपुर, आगरा, मथुरा, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, जालौन, इटावा एवं कानपुर देहात आदि जिलों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।

दमकल वाहन हैं तैयार
कटियार ने बताया कि यह दल लगभग एक किलोमीटर के इलाके में फैला हुआ है। टिड्डियों के हमले की आशंका के मद्देनजर दमकल वाहनों को पहले से ही तैयार किया गया था। उन्होंने बताया कि इन कीटों को भगाने के लिए कीटनाशकों का गहन छिड़काव किया जा रहा है। साथ ही वाहनों पर डीजे तथा अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों को लगाकर शोर किया जा रहा है।

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हवा के रुख के अनुसार झांसी में प्रवेश
उन्होंने बताया कि झांसी के समथर थाना क्षेत्र के दतावली गांव के पास भी टिड्डियों का एक छोटा दल देखा गया। उसे भी भगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज दोपहर बाद तक टिड्डियों का समूह झांसी की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के दतिया जिले में था और हवा के रुख के हिसाब से उसके झांसी में प्रवेश करने की आशंका पहले से ही थी।

सतर्क था प्रशासन और गांव वाले तैयार
उल्लेखनीय है कि गत 22 एवं 24 मई को टिड्डियों के एक बड़े समूह ने झांसी जिले के कुछ इलाकों पर हमला किया था, लेकिन पहले से ही सतर्क प्रशासन एवं ग्रामीणों की मदद से आधे से अधिक टिड्डियों को मार डाला गया था। आज टिड्डी दल के हमले की आशंका को देखते हुए हर तहसील में कीटनाशकों के छिड़काव के लिए दमकल के दो—दो वाहन तैनात किए गए थे। 

अन्य जिलों में भी बढ़ा दी है सतर्कता
इसके अलावा नगर निगम की दो अतिरिक्त मशीनों सहित ब्लॉक स्तर पर 10-10 कर्मियों को कीटनाशकों की उपलब्धता के साथ तैनात किया गया था। उधर, प्रदेश स्थित बुंदेलखंड के अन्य जिलों बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर में टिड्डी दल के आने की उम्मीद कम है। फिर भी इन जिलों में सतर्कता बढ़ा दी गई है और किसानों को भी सावधान रहने को कहा गया है। 

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मध्य प्रदेश पहुंच चुका है दल
बांदा के जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल ने बताया, "पाकिस्तान से चलकर राजस्थान के रास्ते मध्य प्रदेश पहुंचने वाला टिड्डी दल वर्तमान में मध्य प्रदेश के छतरपुर तथा पन्ना जिलों में पहुंच चुका है, जोकि बांदा जिले के निकट सीमावर्ती जनपद हैं। हवा की दिशा और गति के अनुसार यह टिड्डी दल बांदा तथा महोबा जिला भी पहुंच सकता है।"

छिड़काव के लिए हो रहा कीटनाशक का प्रयोग
उन्होंने कहा कि इसके दृष्टिगत जिले के मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है और समस्त फील्ड कर्मचारियों को भी सचेत कर दिया गया है। बंसल ने कहा, "जिले में टिड्डी दल पर छिड़काव के लिए कीटनाशक दवाएं उपलब्ध हैं। दमकल की गाड़ियों, नगरपालिका तथा नगर पंचायत के टैंकरों इत्यादि को तैयार रखने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।" 

रात में तेज आवाज करने का निर्देश
जिलाधिकारी ने बताया, "सभी किसानों को उनके गांवों में टिड्डी दल के पहुंचने की स्थिति में लेखपाल और ग्राम सचिव को सूचित करने को कहा गया है।" बंसल ने किसानों से कहा, "टिड्डी दल को रात में खेत में बैठने से रोकने के लिए तेज आवाज की जाए, जैसे कनस्तर, ढोल व डीजे आदि बजाएं। अगर रात में टिड्डी दल खेत में बैठ जाए तो उनके ऊपर रासायनिक दवाइयों का प्रयोग ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर, पंप में क्लोरोपायरीफाश, 20 प्रतिशत ईसी (1200 मिलीग्राम) या डेल्टामेथलीन 28 ईसी (400 मिलीग्राम) का तीव्र छिड़काव करें।"

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अधिकारी और किसान हैं सजग
वहीं, महोबा के जिलाधिकारी अवधेश कुमार तिवारी ने बताया कि बुधवार सुबह टिड्डी दल के मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में होने की सूचना मिली है। उन्होंने कहा कि वैसे यहां इस दल के आने की उम्मीद बहुत कम है, फिर भी अधिकारी और किसानों को सजग रहने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं और कड़ी निगरानी भी की जा रही है। कमोबेश यही स्थिति चित्रकूट और हमीरपुर जिले की भी है। यहां भी टिड्डी दल के आने की संभावना को देखते हुए सतर्कता बढ़ा दी गई है और टिड्डी दल के पहुंचने पर जोर-जोर की आवाज करने एवं खेतों में बैठने की दशा में रासायनिक दवाओं के छिड़काव की तैयारी कर ली गई है।

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देहात में विशेष सर्तकता बरतने के निर्देश
लखनऊ में जारी एक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री योगी ने टिड्डी दल पर नियंत्रण करने के लिए प्रदेश के सीमावर्ती जनपदों जैसे झांसी, ललितपुर, आगरा, मथुरा, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, जालौन, इटावा एवं कानपुर देहात आदि जिलों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री ने समीक्षा कर सम्बन्धित जिलों के जिलाधिकारियों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को टिड्डी दल से बचाव के लिए उचित कार्रवाई करने को कहा है।

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टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए नियंत्रण कक्ष
आपदा प्रबन्धन अधिनियम-2005 की व्यवस्था के अनुसार जिलाधिकारियों को कोषागार नियम-27 के अन्तर्गत संसाधनों की व्यवस्था के लिए धनराशि व्यय करने के निर्देश दिए गए हैं। बयान के अनुसार प्रदेश स्तर पर टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए नियंत्रण कक्ष तथा टीमों का गठन किया जा चुका है, जो टिड्डी दलों के प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में भ्रमण एवं उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखकर सम्बन्धित जिलों को आवश्यक सुरक्षात्मक निर्देश जारी कर रहा है।

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किसानों और जन सामान्य तक जानकारी पहुंचाने की तैयारी
जिला मुख्यालयों पर इसके लिए नोडल अधिकारी, कार्यबल एवं नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश के क्रम में जनपदों में भी गठन की कार्यवाही की जा चुकी है। टिड्डी के प्रकोप, उनसे बचाव तथा सावधानियों से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी विषयक एक फोल्डर तैयार कर प्रदेश के सभी जनपदों के विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सोशल मीडिया के माध्यम से उपलब्ध करा दिया गया है, साथ ही इसे किसानों एवं जन सामान्य को भी उपलब्ध कराया गया है। 

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सोशल मीडिया की ली जा रही मदद
बयान में कहा गया कि टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों एवं ग्राम पंचायत अधिकारियों सहित समस्त क्षेत्रीय कार्मिकों तथा सोशल मीडिया के माध्यम से त्वरित ढंग से कृषकों तक पहुंचाने के लिए सम्बन्धित जनपदों को निर्देश दिए गए हैं। 

शोर मचाने की भी दी जा रही है सलाह
इसमें कहा गया है कि टिड्डियों द्वारा हमला करने की स्थिति में एक साथ इकट्ठा होकर ढोल, नगाड़े, टीन के डिब्बे, थालियां आदि बजाते हुए शोर मचाने की सलाह भी जारी कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि टिड्डी दल आमतौर पर नदी, झील, तालाब किनारे हरियाली वाले स्थानों पर अधिक हमला करते हैं तथा कद्दू वर्गीय फल, सब्जी आदि को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। 

—भाषा

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