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लद्दाख इलाके में चीन की मौजूदगी (फाइल फोटो)

ताजा सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि चीन की जंग की धमकी महज़ ज़ुबानी खर्च नहीं

बारीकी से पड़ताल से पता चलता है कि 24 मई को जो जमीन पर निशान दिख रहे थे वो 14 मई को नहीं देखे गए थे. तस्वीर में दिखे ये नए ढांचे चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बड़ी संख्या में सैनिकों के मूवमेंट या लॉजिस्टिक मूवमेंट से जुड़े हो सकते हैं.

जैसे कि चीन ने दुनिया को संभावित युद्ध की खौफनाक चेतावनी जारी की है, ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से अक्साई चिन क्षेत्र में सड़क के किनारे चीनी सेना के बड़े मूवमेंट के संकेत मिलते हैं. अक्साई चिन लद्दाख का वही हिस्सा है जिस पर चीन ने 1962 युद्ध के बाद से कब्जा कर रखा है.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को देश के सशस्त्र बलों से रू-ब-रू होकर कहा कि "ये आवश्यक है कि सशस्त्र युद्ध के लिए ट्रेनिंग और तैयारियों के रास्ते तलाशे जाएं क्योंकि महामारी पर काबू पाने की कोशिशें अब सामान्य हो गई हैं.” चीनी राष्ट्रपति का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब बाक़ी की दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है.

जिनपिंग ने कहा, ''ये जरूरी है कि सशस्त्र लड़ाई के लिए तैयारियां बढ़ाई जाएं, असल लड़ाकू मिलिट्री ट्रेनिंग लचीले ढंग से की जाए, और अपनी मिलिट्री की क्षमता को मिलिट्री मिशनों के लिए और बेहतर किया जाए.”

जिनपिंग के इस बयान से पहले चीन अपनी सेना के बजट में 178 अरब डॉलर की बढ़ोतरी का फैसला ले चुका है. ये बढ़ोतरी पिछले साल की तुलना में 6.6 फीसदी ज्यादा है.

दुनिया को चीन की सार्वजनिक तौर पर धमकी ऐसे वक्त में आई है जबकि चीन और भारत के बीच लद्दाख और सिक्किम सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बढ़ा हुआ है. समझा जाता है कि पिथौरागढ़ के लिपुलेख, कालापानी और लिपियाधुरा क्षेत्रों पर हाल में नेपाल की ओर से किए गए दावे के पीछे बीजिंग का ही हाथ रहा है.

अक्साई चिन में सेना का मूवमेंट

यूरोपियन स्पेस एजेंसी की ताज़ा तस्वीरों से इस महीने के तीसरे हफ्ते में अक्साई चिन क्षेत्र में मूवमेंट के संकेत मिलते हैं. इन तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि मूव करते ढांचे 30-50 मीटर ऊंचे हो सकते हैं. तस्वीरें ज़मीन पर हुए और देखे जा सकने वाले बदलावों को दर्शाती हैं जो कि संभवत: बड़े पैमाने पर मूवमेंट की वजह से हुए. ऐतिहासिक तस्वीरें बताती हैं कि LAC के नजदीकी स्थान से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित सड़क का निर्माण 2018-19 में हुआ था.

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इस महीने के दूसरे और तीसरे हफ्ते की तस्वीरों से मूवमेंट का क्षेत्र दिखाई देता है, सोर्स: यूरोपियन स्पेस एजेंसी

बारीकी से पड़ताल से पता चलता है कि 24 मई को जो जमीन पर निशान दिख रहे थे वो 14 मई को नहीं देखे गए थे. तस्वीर में दिखे ये नए ढांचे चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बड़ी संख्या में सैनिकों के मूवमेंट या लॉजिस्टिक मूवमेंट से जुड़े हो सकते हैं.

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उस क्षेत्र पर बारीक नजर जहां चीन का संदिग्ध मूवमेंट देखा गया. सोर्स: यूरोपियन स्पेस एजेंसी

ये घटनाक्रम 5 मई के आसपास भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुए कथित टकराव से मेल खाता है. आजतक/इंडिया टुडे की ओर से पहले तस्वीरों के विश्लेषण पैंगोग झील और गैलवान घाटी क्षेत्र के आसपास दोनों तरफ बिल्ड अप को दिखाया गया था.

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LAC के नजदीकी बिंदु से दो किलोमीटर दूर की जगह, सोर्स: यूरोपियन स्पेस एजेंसी