बेटे ने पिता का शव लेने से किया मना, मुस्लिम युवकों ने दी चिता को आग
by Rahul Kumarअकोला। देश में कोरोना वायरस को लेकर लोगों में इस कदर भय है कि, लोग अपने परिजनों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार तक करने के लिए तैयार नहीं हैं। महाराष्ट्र के अकोला में शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से एक 78 वर्षीय हिंदू शख्स का निधन हो गया। निधन के बाद मृतक के परिवार ने उसका अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। इसके बाद इसके बाद स्थानीय संगठन के कुछ मुस्लिम युवाओं ने रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया।
मुस्लिम संगठन अकोला कच्छी मेमन जमात ने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी संभाली
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, एक ओर जहां शख्स की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। वहीं उनकी पत्नी का अकोला के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसीएच) में कोरोना वायरस का इलाज चल रहा है। कोला म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के स्वच्छता विभाग के प्रमुख प्रशांत राजुरकर ने बताया, नागपुर में रहने वाले इस व्यक्ति के बेटे ने शव को लेने और अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। इसके बाद स्थानीय मुस्लिम संगठन अकोला कच्छी मेमन जमात ने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी संभाली।
मृतक की पत्नी कोरोना संक्रमित
रविवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने श्मशान उस शख्स का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया। अकोला महाराष्ट्र में 25 मौतों और 400 से अधिक पॉजिटिव मामलों के साथ सबसे बड़े कोरोना वायरस हॉटस्पॉट में से एक है। अमरावती डिवीजनल कमिश्नर पीयूष सिंह ने कहा, मृतक व्यक्ति की पत्नी को 23 मई को शाम 4 बजे के आसपास जीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। उनमें कोरोना के लक्षण दिखने के बाद स्वैब लिया गया था।
पत्नी के अस्पताल में भर्ती किए जाने के कुछ घंटे बाद शख्स का निधन
जीएमसीएचके डीन ने बताया कि, शाम 6.30 बजे के आसपास 78 वर्षीय वृद्ध की तबीयत खराब होने की जानकारी मिली थी। एंबुलेंस भेजी गई लेकिन तब तक उनकी मौत हो गई थी। 24 मई की सुबह पत्नी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। प्रोटोकॉल के अनुसार मृत शरीर से स्वैब नहीं लेते हैं, लेकिन करीबी रिश्तेदारों के स्वैब ले लिए जाते हैं, इसलिए रिपोर्ट का इंतजार है। मुस्लिम संगठन के अध्यक्ष जावेद जकेरिया ने कहा, अकोला में कोरोना के चलते हुई पहली मौत के बाद हमने उन लोगों का अंतिम संस्कार करने का फैसला किया है जिनके परिवार ऐसा करने में असमर्थ हैं।
अंतिम संस्कार ने कुछ लोगों हुए नाराज
जकारिया ने बतायाकि, अभी तक हमने 60 लोगों के अंतिम संस्कार किए हैं, जिनमें से 21 कोविड रोगियों के थे। इनमें से पांच हिंदू थे। जकेरिया ने बताया कि उनके वॉलंटियर्स ने अंतिम संस्कार के दौरान पीपीई पहना शामिल होते हैं। एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार शख्स के बेटे से संपर्क नहीं किया जा सका है। अकोला म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के स्वच्छता विभाग के प्रमुख राजुरकर ने कहा कि वह अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए लेकिन इसके लिए 5,000 रुपये दिए हैं। उन्होंने कहा 'रविवार के अंतिम संस्कार ने कुछ लोगों को नाराज कर दिया है। वे परेशान हैं कि मृतक का नाम सार्वजनिक हो गया है और बेटा मीडिया कवरेज के कारण परेशान है।
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