LAC पर टेंशन, एक्शन में लौटी पीएम मोदी की वह टीम जिसने 73 दिन बाद सुलझाया था डोकलाम विवाद
by Richa Bajpaiनई दिल्ली। लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को जवाब देने के लिए इंडियन आर्मी आक्रामक भूमिका में आ चुकी है। चीन उस समय से ही बौखलाया हुआ है जब से लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में सरकार ने बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर के काम को आगे बढ़ाना शुरू किया। इस एक बात से ही चीन गुस्से में है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर हालात फिर से उसी तरह से तनावपूर्ण हो गए हैं जैसे तीन साल पहले डोकलाम में थे। इस संकट से निबटने के लिए एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वहीं टीम एक्शन में है जिसने 73 दिन बाद डोकलाम विवाद कसे सुलझाने में सफलता हासिल की थी।
टीम मोदी की हुई मीटिंग
जून 2017 में डोकलाम में एक निर्माण कार्य की वजह से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। इस बार भी किस्सा वही है बस जगह बदल गई है। लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में एक पुल का निर्माण हो रहा है। चीन को डर लग रहा है कि यह पुल अक्साई चिन में स्थित ल्हासा-काश्गर हाइवे को खतरा पैदा कर सकता है। इस पुल के निर्माण में भारतीय सेना के उन जवानों को ही तैनात किया गया है जो चीन के कब्जे वाले तिब्बत के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। इस बार चुनौती बड़ी है और मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रणनीतिक मीटिंग की। इस बार मीटिंग में वही लोग शामिल हुए जो तीन साल पहले इसी तरह के हालातों से कैसे जूझे, इस बारे में पीएम मोदी को सलाह दे रहे थे।
जनरल रावत से लेकर जयशंकर शामिल
मंगलवार को हुई मीटिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और विदेश मंत्री एस जयशंकर खासतौर पर शामिल थे। इसी टीम को अगस्त 2017 में डोकलाम विवाद को सुलझाने का श्रेय दिया जाता है। 73 दिन बाद डोकलाम विवाद सुलझ सका था। जनरल रावत उस समय आर्मी चीफ थे तो जयशंकर के पास भारत के विदेश सचिव का जिम्मा था। मंगलवार की मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब लद्दाख में एलएसी पर चीन की तरफ भारी तादाद में सैनिक तैनात हैं।
आपसी सम्मान से हल होगा मसला
अधिकारियों के मुताबिक भारत का मानना है कि आपसी सम्मान और बातचीत से ही एलएसी के हालात सामान्य हो सकते हैं। पीएम मोदी की डोकलाम टीम को जिम्मा दिया गया है कि वह किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना के लिए तैयार हो। भारत ने तय किया है कि लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के करीब स्थित पुल, काराकोरम पास पर आखिरी मिलिट्री पोस्ट के अलावा चीन को जवाब देने के लिए सेनाओं को रवाना कर दिया गया है।भारत और चीन के बीच करीब 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी है और कई दशकों से यह तनाव का विषय बनी हुई है।
पहले भी पैदा हुए ऐसे हालात
अधिकारियों ने कहा है कि भारतीय सेना को एलएसी के बारे में पूरी जानकारी है। चीनी सेना की तरफ से पहले भी पेट्रोलिंग से रोकने की कोशिशें की गई हैं। लेकिन इस बार चीन की मंशा और इरादे वर्तमान स्थिति को लेकर स्पष्ट नहीं हैं। इसके बाद भी भारत की स्थिति साफ है और इंडियन आर्मी की तरफ से किसी भी तरह का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। वहीं यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि चीन के विरोध और टकराव के बाद भी भारत निर्माण कार्य बंद नहीं करेगा।
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