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कालापानी विवाद: नक्शे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन पर चर्चा को नेपाल ने टाला, राजनीतिक दलों ने कहा- पहले बने आम सहमति

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कालापानी को शामिल करते हुए नक्शे को अपडेट करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन पर बुधवार को प्रस्तावित चर्चा को नेपाल ने टाल दिया है। संशोधन के लिए संसद की प्रतिनिधि सभा में चर्चा होनी थी। राजनीतिक दलों ने पहले इस पर देश में आम सहमति बनाने की बात की है। 

संसद सचिवालय की ओर से प्रकाशित कार्यसूची के मुताबिक बुधवार को कानून मंत्री शिवमाया तुम्बहाम्फे स्थानीय समयानुसार 2 बजे प्रस्ताव को पेश करने वाली थीं। नेपाल ने 18 मई को नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिमिपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया। इसके बाद 22 मई को संविधान संशोधन को संसद में पंजीकृत किया था।

भारत द्वारा लिपुलेख होते हुए लिंक रोड के उद्घाटन के बाद नेपाल ने यह नक्शा जारी किया था। संविधान संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है, इसलिए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार शाम सर्वदलीय बैठक बुलाई ताकि आम सहमति बनाई जा सके और प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया जाए।

लेकिन मधेश के राजनीतिक दल सरकार पर उनकी मांगों को भी शामिल करने का दबाव डाल रहे हैं। जनता समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने एएनआई से कहा, ''हम लंबे समय से अपनी मांगें उठा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है, जबकि पीएम ओली इसे राष्ट्रीय भावना से जुड़ा हुआ मुद्दा बता रहे हैं।''
 
सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत है, लेकिन संविधान संशोधन के लिए इसे निम्न सदन में दूसरी पार्टियों से भी मदद की जरूरत है, क्योंकि 10 सीटें कम हैं।

नेपाली कांग्रेस ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया है, लेकिन संविधान संशोधन प्रस्ताव पर पार्टी में चर्चा की जरूरत बताई है। इस बीच कओली और पुष्प कमल दहल की अगुआई में सत्ताधारी पार्टी ने सभी से अपील की है कि राष्ट्रीय भूभाग के अजेंडे को उनकी राजनीतिक मांगों के साथ ना मिलाया जाए।