कोरोना पर चर्चा / राहुल गांधी से बातचीत में हार्वर्ड के हेल्थ एक्सपर्ट बोले- टीका अगले साल तक आने का भरोसा, भारत को 50-60 करोड़ वैक्सीन की जरूरत होगी

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राहुल गांधी कोरोना संकट और अर्थव्यवस्था पर इसके असर को लेकर दुनियाभर के एक्सपर्ट से बात कर रहे हैं। (फाइल फोटो)

दैनिक भास्कर

May 27, 2020, 11:55 AM IST

नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना संकट पर आज दो इंटरनेशनल हेल्थ एक्सपर्ट से चर्चा की। ये एक्सपर्ट हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के कैरोलिंसका इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर जोहान गिसेक थे। कोरोना के वैक्सीन पर प्रोफेसर झा ने कहा कि अमेरिका, चीन और ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन रिसर्च के अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं। पहला वैक्सीन अगले साल तक आने का भरोसा है। भारत के लिए 50-60 करोड़ वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी।

'कोरोना से अगले साल भी छुटकारा नहीं मिलेगा'
प्रोफेसर झा के मुताबिक कोरोना एक या डेढ़ साल की समस्या नहीं है, बल्कि इससे 2021 में भी छुटकारा नहीं मिलने वाला। हाई रिस्क वाले इलाकों में टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत है। हम बड़ी महामारियों के दौर में जा रहे हैं, कोरोना कोई आखिरी नहीं है। लॉकडाउन के बाद इकोनॉमी की शुरुआत हो रही है, ऐसे समय में जरूरत इस बात की है कि लोगों का भरोसा बढ़ाया जाए।

राहुल ने पूछा कि क्या बीसीजी का टीका कोरोना से लड़ने में मदद कर सकता है? इस पर प्रोफेसर झा ने कहा कि इसके पर्याप्त सबूत नहीं हैं। नई टेस्टिंग चल रही है। अगले कुछ महीने में स्थिति साफ हो पाएगी।

'सख्त लॉकडाउन से इकोनॉमी को ज्यादा नुकसान होगा'
दूसरी ओर प्रोफेसर जोहान का कहना है कि भारत में सॉफ्ट लॉकडाउन होना चाहिए। अगर लॉकडाउन सख्त होगा तो अर्थव्यवस्था जल्दी बर्बाद हो जाएगी।

दुनिया के लिए 9/11 नया चैप्टर था, कोरोना पूरी किताब: राहुल
राहुल ने कहा कि कोरोनावायरस के बाद हम अलग तरह की दुनिया देखेंगे। चीन और अमेरिका के बीच शक्ति संतुलन (बैलेंस ऑफ पावर) में बदलाव होगा। कोरोनावायरस दो तरह से हमले कर रहा है- एक तो हेल्थ पर और दूसरा वैश्विक ढांचे पर। राहुल ने कहा कि 9/11 का हमला एक नया चैप्टर था, जबकि कोरोना पूरी किताब है।

राहुल ने कोरोना पर चर्चा की सीरीज पिछले महीने शुरू की थी
कोरोना और उसके आर्थिक असर पर राहुल अलग-अलग फील्ड के देश-विदेश के एक्सपर्ट से डिस्कस कर रहे हैं। उन्होंने 30 अप्रैल को आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा के साथ यह सीरीज शुरू की थी। इसी कड़ी में 5 मई को नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी से बातचीत की थी।