बीजेपी के दो लोकसभा सांसदों पर भड़क गया चीन, दे डाली चेतावनी

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ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के दो सांसदों की वर्चुअल मौजूदगी पर चीनी दूतावास ने विरोध दर्ज कराया है. ताइवान में साई इंग-वेन ने बुधवार को जब दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो समारोह में बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान का भी बधाई संदेश दिखाया गया.

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इस समारोह में 41 देशों के 92 प्रतिनिधि मौजूद थे जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी शामिल है. हालांकि, भारत की तरफ से कोई प्रतिनिधि आधिकारिक तौर पर शामिल नहीं हुआ था लेकिन बीजिंग दो सांसदों की मौजूदगी से भी नाराज है.

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भारत हमेशा से ताइवान को लेकर बीजिंग की 'वन चाइना पॉलिसी' को मानता रहा है और उसके साथ किसी भी तरह के कूटनीतिक संबंध स्थापित नहीं किए हैं लेकिन नए घटनाक्रम से इस नीति में बदलाव के संकेत भी दिख रहे हैं. चीन, ताइवान को 'एक देश, दो सिस्टम' का हिस्सा मानता है जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र मानता है. हॉन्गकॉन्ग भी इसी सिस्टम के तहत चीन का हिस्सा है.

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सूत्रों के मुताबिक, नई दिल्ली में चीनी दूतावास के काउंसलर (संसद) लियु बिंग ने एक ईमेल लिखकर आपत्ति जताई है और कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर से बधाई संदेश देना भी बेहद गलत था. चीनी राजदूत ने अपनी शिकायत में लिखा, यूएन चार्टर और इसके अहम संकल्पों में वन चाइना के सिद्धांत को माना गया है. वन चाइना पॉलिसी को लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों और पूरे वैश्विक समुदाय के बीच आम सहमति है. चीनी राजदूत ने लिखा कि 70 साल पहले द्विपक्षीय संबंध स्थापित होने के बाद से ही भारत की सरकारें भी वन चाइना पॉलिसी को मानती रही हैं.

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इंडिया टुडे से बातचीत में बीजेपी सांसद राहुल कासवान के एक करीबी सूत्र ने बताया, उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए वह किसी भी इवेंट में शामिल नहीं हुए थे. वीडियो संदेश भेजने के संबंध में सूत्र ने कहा कि नई दिल्ली और ताईपेई के अच्छे संबंध हैं और व्यापारिक साझेदारी है इसलिए सांसद ने वीडियो संदेश भेजना उचित समझा.

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सूत्र के मुताबिक, बीजेपी सांसद को यह जानकारी नहीं थी कि उनके भेजे गए संदेश को समारोह में दिखाया जाएगा. इसके अलावा, अगर चीन की आपत्ति को लेकर किसी आधिकारिक प्रतिक्रिया की जरूरत पड़ती है तो विदेश मंत्रालय ही इसका जवाब देगा.

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लियु बिंग ने संदेश में कहा, बधाई संदेश समेत कोई भी गलत संकेत अलगावादियों को खतरनाक रास्ते पर जाने के लिए प्रोत्साहित करेगा जिससे पूरे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा पर खतरा पैदा हो जाएगा. चीनी राजदूत ने लिखा, चीन के एकीकरण के महान उद्देश्य को समर्थन देने के बजाय ऐसी गतिविधियों से बिल्कुल दूर रहें.

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1949 में चीनी गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से ही ताइवान पूरी तरह से स्वशासित रहा है. जहां ताइवान खुद को चीन से स्वतंत्र मानता है, वहीं चीन उसे एक प्रांत मानते हुए 'एक देश, दो व्यवस्था' के तहत अपने में मिलाने के लिए कोशिश करता रहा है. चीन का मानना है कि जरूरत पड़ने पर ताइवान का विलय बलपूर्वक भी किया जा सकता है.

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भारत का ताइवान में कोई दूतावास नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के 194 सदस्य देशों में से 179 देशों के ताइवान के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं, भारत भी इनमें से एक है. सीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान के साथ संबंध रखने वाले 15 देशों में वेटिकन सिटी को छोड़कर सभी ने ताइवान की राष्ट्रपति को वीडियो संदेश भेजे.

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राष्ट्रपति साई इंग वेन 'वन चाइना' का मुखर होकर विरोध करती रही हैं. उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में अपने भाषण में कहा, "हम 'एक देश, दो व्यवस्था' वाली दलील के नाम पर चीन का अधिपत्य नहीं स्वीकार करेंगे जिसमें ताइवान का दर्जा कम कर दिया जाएगा.