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चीन ने दिखाई राह तो भारत के किसानों ने आपदा को ऐसे बनाया अवसर

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आपदा कैसे अवसर बनती है, यह चीन की अलीबाबा और जेडी डॉट कॉम ने 2003 में सामने आई महामारी से सीखा। दोनों ने ऑनलाइन कारोबार का जोखिम ले बुलंदियों को छुआ। चीन में सार्स से 2003 में बड़े-बड़े शहर भुतहा हो गए थे। तब जेडी छोटी इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानों की शृंखला थी, जिसने ऑनलाइन साइट शुरू ही की थी, लेकिन सार्स आते ही ज्यादातर स्टोर बेचने पड़े। ऐसे में कंपनी ने मैसेजिंग सेवा क्यूक्यू ग्रुप्स और कॉलेज बुलेटिन से सामान बेचना शुरू किया।
 
अलीबाबा  ने भी नजीर पेश किया:  अलीबाबा 2003 तक चीन का माल अमेरिकी खरीदारों तक पहुंचाती थी। मार्च में कंपनी की एक कर्मचारी भी सार्स से संक्रमित हो गई और ग्राहकों ने उसे ऑर्डर देना भी बंद कर दिया। ऐसे में कंपनी ने ऑनलाइन कारोबार पर ध्यान दिया। अलीबाबा की राह पर भारत के किसान भी चल पड़े हें। मुजफ्फरपुर में ऑनलाइन लीची, मलिहाबाद में मोबाइल से सौदा, भागलपुर में जर्दालु आम की बुकिंग के जरिए कोरोना महामारी को अवसर में बदलने वाले किसान और व्यापारी नए भारत को नई राह दिखा रहे हैं।

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भागलपुर जिले में एक जून से  जर्दालु आम की बुकिंग होगी। इसके लिए बिहार कृषि विभाग की वेबसाइट पर बुकिंग के लिए ऑनलाइन आवेदन देना होगा।
मलिहाबाद में  मोबाइल से सौदा: मलिहाबाद में लाखों रुपये में बाग खरीद चुके स्थानीय कारोबारी व्यापारियों से फोन पर ही सौदा कर रहे हैं। इस बार ऑनलाइन सौदा मुफीद नजर आ रहा है।
मुजफ्फरपुर में ऑनलाइन लीची: मुजफ्फरपुर जिले के जिला उद्यान विभाग ने पहल के तौर पर एक किसान उत्पादन संगठन को ऑनलाइन योजना के तहत लीची सप्लाई की जिम्मेदारी सौंपी है।
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