लिपुलेख सड़क से लोगों को राहत, 21 दिन के बदले 1 दिन में पूरी होगी मानसरोवर यात्रा
इस सड़क के निर्माण से स्थानीय लोग खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि इससे सीमा से लगे गावों की आवाजाही आसान हो गई है. साथ ही सेना भी बॉर्डर पर आसानी से आ जा सकती है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस रोड से उनके व्यापार में आसानी होगी.
- इस सड़क से सेना की आवाजाही आसान होगी
- लोगों को व्यापार करने में भी सुविधाएं मिलेंगी
भारत और नेपाल सीमा पर लिपुलेख और कालापानी पर चल रहे विवाद के बीच उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से लिपुलेख तक भारत ने 80 किलोमीटर की सड़क बना डाली है. इससे कैलाश मानसरोवर की यात्रा जो पहले 21 दिन में पूरी होती थी, वो अब महज एक दिन में पूरी हो जाएगी.
इसको लेकर जहां स्थानीय लोगों में उत्साह और खुशी है, तो वहीं पड़ोसी मुल्क नेपाल में परेशानी देखी जा रही है. इस सड़क से भारतीय सेना की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी.
कुछ ही दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सड़क का शुभारंभ किया था, जिसके बाद अब इस सड़क को पक्का करने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. इस सड़क के निर्माण से स्थानीय लोग खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि इससे सीमा से लगे गावों की आवाजाही आसान हो गई है.
इसके साथ ही सेना भी बॉर्डर पर आसानी से आ जा सकती है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस रोड से उनके व्यापार में आसानी होगी.
दूसरी ओर, जिस तरह से नेपाल लिपुलेख और कालापानी पर अपने अधिकार की बात कर रहा है, वो वाकई हैरान करने वाला है क्योंकि 1816 की सुगौली संधि के दौरान काली नदी को ही सीमा रेखा मान लिया गया था. इसके बाद से अब तक कोई भी संदेह इस जमीनी विवाद को लेकर नहीं था.
मगर चीन की शह पर नेपाल ने अपने नक्शे में भारतीय क्षेत्र में आने वाली तमाम जगह पर अपना कब्जा और अपनी जमीन होने की बात करनी शुरू कर दी है. इससे दोनों देशों के संबंध में कुछ तल्खी देखी जा रही है.