लॉकडाउन की तस्वीरें / रोटी के लिए प्रवासियों का संघर्ष, पानी के लिए मीलों का सफर और श्रमिकों पर ‘एक्सप्रेस’ सितम

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दैनिक भास्कर

May 27, 2020, 08:28 AM IST

कोटा में एक मजदूर परिवार का बच्चा काम की तलाश में सड़क पर भटकता रहा। उसके पैरों में चप्पल तक नहीं थी। 46.5 डिग्री तापमान में पैर जल रहे थे, लेकिन अपना और परिवार का पेट भरने के लिए यह लड़का धूप में तपती सड़क में काम ढूंढता रहा। मई की गर्मी में सड़क तपकर आग का गोला बन गई थी। सड़क पर ठीक से पैर भी नहीं रखे जा रहे थे, पर मजबूर बच्चे के पास कोई दूसरा चारा नहीं था ।

भूख अब भी जिंदा है, मासूम ने सिर पर सजा रखी हैं रोटियां

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तस्वीर राजस्थान के पाली की है। दो वक्त की रोटी के लिए बिहार का एक परिवार पाली पहुंचा था। रोजगार छिनने के बाद भुखमरी की नौबत आ गई तो वापस जाना तय किया। रेलवे स्टेशन पर आते समय भीषण गर्मी से बचने के लिए बच्चे ने पूरा चेहरा ढंक रखा था। कुछ लोगों ने उसे दो रोटी दी तो बच्चे ने अपने सिर पर उठाए सामान पर ही रख लीं।

जल के लिए 10 किमी यात्रा

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तस्वीर नासिक (महाराष्ट्र) से 55 किलाेमीटर दूर हरसूल परगना की है। यहां इतना भयंकर सूखा है कि दूर-दूर तक पानी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सूखे पेड़ और सूखी पत्तियाें से गुजरकर दाेपहर साढ़े तीन बजे यह महिला पानी लेने 10 किलाेमीटर के कठिन सफर पर निकल पड़ी है।

फटा कपड़ा पहना था, पुलिस ने दिया मास्क 

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तत्वीर चंडीगढ़ की है। मंगलवार को ट्रेन से घर जाने के लिए परिवार के साथ पहुंचे एक बच्चे ने सुरक्षा के लिए मुंह पर फटा हुआ कपड़ा पहन रखा था। इस बच्चे पर पुलिस की नजर पड़ी तो एक मुलाजिम ने बच्चे को मास्क पहनाया। 

पानी के लिए जद्दोजहद 

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तस्वीर मध्य प्रदेश के जबलपुर की है। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा कर रहे प्रवासियों का भीषण गर्मी से बुरा हाल है। इन लोगों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इस बीच जब ट्रेन जबलपुर स्टेशन पर रुकी तो मजदूर पानी भरने के लिए कतार लग गई। 

गर्मी सैनिटाइज

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तस्वीर राजस्थान के बूंदी की है। मंगलवार को नाैतपा के दूसरे दिन चूरू में तो तापमान 50 डिग्री पर पहुंच गया। वहीं बूंदी में पारा 47 डिग्री पर पहुंच गया। हीट स्ट्रोक या लू (तापघात) का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने काे शहर की सड़काें पर पानी का छिड़काव कराया।

वीडियो कॉल कर मां को कराया पिता का अंतिम दर्शन

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तस्वीर छत्तीसगढ़ के महासमुंद की है। दो दिन पहले गुजरात से ओडिशा जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में एक यात्री की मौत हो गई थी। मंगलवार को उसका महासमुंद में अंतिम संस्कार किया गया। बेटे अनिल ने पिता के शव को मुखाग्नि दी। अनिल ने अपनी मां और परिजनों को वीडियो कॉल कर पिता के अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार को लाइव दिखाया।

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भोजन वितरण

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तस्वीर इंदौर की है। यहां के भूतेश्वर महादेव समिति पश्चिम क्षेत्र में गोपुर चौराहे के खाली मैदान पर आठ बस्तियों के करीब 200 लोगों को रोज सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भोजन सामग्री दी जा रही है। समिति के युवा 55 दिन से लगातार इस सेवा में जुटे हैं। 

50 हजार प्रवासी घर जाने निकले, निराश लौटे

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तस्वीर मुंबई की है। कोरोनावायरस संक्रमण का बड़ा हॉटस्पॉट बन चुकी एशिया का सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी अब खाली होने लगी है। बेहद भीड़भाड़ वाले इस इलाके में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,600 के पार जा चुकी है, जबकि 60 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को यहां से यूपी और बिहार जाने के लिए हजारों लोग सामान लेकर कतारों में खड़े हो गए। 

3 माह की हिमांशी ने जीती जंग   

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तस्वीर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की है। जहां 3 महीने की हिमांशी ने कोरोना का हरा दिया है। लेकिन, हिमांशी के लिए ये सफर इतना आसान नहीं था। दरअसल, जिले के रमेश नाथ और उसकी तीन महीने की दूध मुंही बच्ची हिमांशी की कोरोना जांच रिपोर्ट पाॅजिटिव आई थीं। जबकि, उसकी पत्नी और तीन व पांच साल की दो अन्य बच्चियों की रिपोर्ट निगेटिव आई। तीन महीने की दुधमुंही बच्ची के लिए मां का दूध जरूरी था। इसके लिए डॉक्टरों ने तीनों निगेटिव यानी मां और अन्य दो बेटियों को पास ही के दूसरे काॅटेज रूम में रखा गया ताकि मां तीन महीने की बच्ची काे दूध पिला सके। मां को पीपीई किट, हैंड सैनिटाइजेशन और सोशल डिंटेंस के बारे में बारीकी से बताकर उसकाे तीन महीने की बच्ची को दूध पिलाने की ट्रेनिंग दी गई।