कमज़ोर पड़ रहा है पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, प्रभावित हो रहे हैं Satellite: वैज्ञानिक
अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका के बीच पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहा
नई दिल्ली। पिछले कुछ समय में पृथ्वी (Earth) में कई बदलाव देखने को मिले हैं। जलवायु परिवर्तन तो पहले से ही अपना असर स्पष्ट तौर पर दिखा ही रहा है, लेकिन पृथ्वी सतह के अंदर भी बदलाव हो रहे हैं जिनके बारे में वैज्ञानिकों को पता चला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका के बीच पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहा है, जिससे परिक्रमा कर रहे उपग्रहों (Satellite) में तकनीकी गड़बड़ियां आ रही हैं। इस क्षेत्र की समझ बढ़ाने के लिए वे यूरोपियन स्पेस एजेंसी के स्वार्म कॉन्सटेलेशन का डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं।
बीते 200 वर्षों में यह क्षेत्र 9% क्षमता खो चुका है
ये स्वार्म सैटैलाइट पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बनाने वाले विभिन्न चुंबकीय संकेतों को पहचान और माप सकते हैं। बीते 200 वर्षों में यह क्षेत्र 9% क्षमता खो चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने देखा कि हाल के वर्षों में दक्षिण अटलांटिक अनोमली के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र काफी बढ़ गया है। हालांकि, अब तक इसका कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। वैज्ञानिक इसका कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इससे हमारी पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हमारे सैटेलाइट में कुछ तकनीकी खराब आने लगी है।
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विसंगति दो अलग-अलग कोशिकाओं में विभाजित हो सकती है
बता दें कि पृथ्वी पर जीवन के लिए चुंबकीय क्षेत्र बहुत जरूरी है। चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी को सूर्य से होने वाले रेडिएशन और अंतरिक्ष से निकलने वाले आवेशित कणों (Charged Particles) से बचाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका मतलब यह हो सकता है कि विसंगति दो अलग-अलग कोशिकाओं में विभाजित हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पिछली बार जियोमैग्नेटिक रिवर्सल 7,80,000 साल पहले हुआ था।’ बताया जा रहा है कि दक्षिण अटलांटिक अनोमली के कारण पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली सैटेलाइट्स के साथ समस्या पैदा हो रही है। एजेंसी के अनुसार, इस वजह से क्षेत्र में उड़ान में भरने वाले अंतरिक्ष यान भी तकनीकी खराबी का सामना कर सकते हैं।