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कोरोना से पति की दिल्ली में मौत, पत्नी बच्चों के साथ अयोध्या में क्वारनटीन

अयोध्या: कोरोना पीड़ित पति की मौत, पत्नी-दुधमुंहे बच्चों का हुआ बुरा हाल

आशा के गांव में लोगों ने थोड़ी दरियादिली दिखाई जो ट्यूबवेल के पास झोपड़ी बनाकर उसे दे दिया, ताकि दिल्ली से लौटा एक परिवार 21 दिन तक गुजारा कर सके. जब पारा 45 डिग्री को छू रहा है, उस वक्त छोटे छोटे बच्चों के साथ खुली झोपड़ी में दिन रात गुजारने की यातना कितनी बुरी होगी, यह समझना आसान है.

कोरोना की सीधी मार किसी पर पड़ी है तो वे प्रवासी मजदूर हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर बड़े बड़े शहरों में मजदूरी करते थे. वे घर लौट आए हैं तब भी दुर्भाग्य उनका पीछा नहीं छोड़ रहा. ऐसा ही एक वाकया 27 साल की एक महिला की त्रासदी से जुड़ा है जिसके पति की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई और दिल्ली से जब वह अपने गांव पहुंची तो वहां भी जिंदगी बहुत मुश्किलों से भरी है.

अयोध्या की मूल निवासी आशा अपने पति राजकुमार के साथ दिल्ली में रहती थी, लेकिन कोरोना ने एक झटके ने इसकी दुनिया बदल दी. 21 मई को इसके पति की दिल्ली में मौत हो गई. जिंदगी का आसरा चला गया. जैसे तैसे अयोध्या जिले के अपने गांव धुरेहटा लौटी तो अभी 21 दिन के क्वारनटीन में है. पिछले 12-13 दिनों में 27 साल की आशा ने वो सब देख लिया जिसे देखना किसी शाप से कम नहीं. किराए के घर में रह रही थी. पति को कोरोना हुआ तो आस पड़ोस वालों ने सुना और दूरी बना ली. 11 दिन तक कोरोना से लड़ने के बाद पति की मौत हो गई. पति का चेहरा भी आखिरी बार देख नहीं सकी. बच्चों को लेकर अस्पताल जा नहीं सकती थी और पास पड़ोस में कोई उसके बच्चों को अपने पास रखने को तैयार नहीं था.

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पति के मरने के बाद किसी तरह किराए पर गाड़ी लेकर आशा गांव पहुंची तो यहां 21 दिन के लिए क्वारनटीन कर दी गई. बच्चे तो इतने छोटे हैं कि वो समझ भी नहीं पा रहे होंगे कि जिंदगी ने उनके सिर से पिता का साया छीन लिया. कोरोना ने दिखाया कि इंसान की जिंदगी कैसे मजबूरियों के क्वारनटीन सेंटर में कैद हो जाती है और उससे ज्यादा ये दिखाया कि प्रवासी मजदूरों का दर्द और विस्थापन कितना गहरा है.

आशा के गांव में गांव वालों ने थोड़ी दरियादिली दिखाई जो ट्यूबवेल के पास झोपड़ी बनाकर उसे दे दिया, ताकि दिल्ली से लौटा एक परिवार 21 दिन तक गुजारा कर सके. जब पारा 45 डिग्री को छू रहा है, उस वक्त छोटे छोटे बच्चों के साथ खुली झोपड़ी में दिन रात गुजारने की यातना कितनी बुरी होगी, यह समझना आसान है.

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बता दें, 24 मई तक उत्तर प्रदेश में 23 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर लौट आए हैं. 21 मई तक बिहार में करीब साढ़े सात लाख मजदूर आ चुके थे जिनके लिए 10 हजार 353 ब्लॉक क्वारनटीन सेंटर में तब्दील हो चुके हैं. झारखंड में 23 मई तक दो लाख 90 हजार मजदूर आ चुके थे जिनको कहीं घर में तो कहीं बाहर क्वारनटीन किया गया. 1 से 21 मई के बीच ओडिशा में दो लाख 20 हजार से ज्यादा मजदूरों की घर वापसी हो गई. एक अनुमान के मुताबिक 75 लाख प्रवासी मजदूर घर पहुंच चुके हैं जबकि 36 लाख के और पहुंचने की उम्मीद है.