कोरोना से जिंदगियां बचाने PM मोदी ने ICMR को दिया था मंत्र, 2009 में आए स्वाइन फ्लू के अनुभव भी काम आए
by शिशिर गुप्ता, एचटी,नई दिल्ली।कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने भारत में अब रोजाना एक लाख से अधिक टेस्ट हो रहे हैं। अब स्वास्थ्य विभाग 'वायरस से आगे रहने' की रणनीति पर काम कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे की कमी के बावजूद भारत ने अपनी परीक्षण रणनीति को सुधारा। नाम नहीं छापने की शर्त पर (क्योंकि वह विभाग द्वारा मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं) उन्होंने कहा कि यह काफी मुश्किल भरा रहा। कभी कबार हमें मीडिया की आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी।
उन्होंने कहा, 'जितनी सरकार चाह रही हमने अभी तक उतना परीक्षण नहीं किया, लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि इस समय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली उतनी खराब नहीं थी, जितनी 2009 में थी, जब स्वाइन फ्लू आया था। महामारी से सैकड़ों लोग मारे गए। लेकिन 2009 के अनुभव से हमने वायरस के आणविक उपचार सुविधाओं को मजबूत किया।'
पीएम ने वैज्ञानिकों से की थी जिंदगियां बचाने की अपील
उन्होंने कहा, 'यह तब काम आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना प्रकोप के शुरुआती दिनों में परीक्षण सुविधाओं का विस्तार करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और देश के शीर्ष वैज्ञानिकों से इस मिशन में जुटने की अपील की।' पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा था “आपको लोगों के जीवन को बचाने के लिए दिन-रात काम करना होगा। हर संभव प्रयास करें। आपको मेरा पूरा समर्थन है।' इस क्रम में पीएम खुद और उनका ऑफिस लगातार वैज्ञानिकों के संपर्क में रहा।
आईसीएमआर की वैज्ञानिक निवेदिता गुप्ता जिन्होंने देश भर में प्रयोगशाला स्थापित करने के प्रयास को अंजाम दिया, ने इस महीने की शुरुआत में वोग की इंडिया वेबसाइट को बताया था कि इस प्रकोप के लिए हम सभी सर्वाधिक जवाबदेह हैं।'
लॉकडाउन से तैयारियों को बेहतर करने के लिए मिला समय
अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन ने देश में वायरस के प्रसार को कम किया। इससे सरकार को वायरस के पता लगाने, उसकी जानकारी रखने, टेस्ट, क्वारंटाइन के साथ-साथ उपचार की सुविधा बेहतर करने का समय मिला। एक अधिकारी ने कहा, “हमने वायरस से आगे रहने के लिए एक परीक्षण रणनीति अपनाई। इसलिए शुरुआत में जब संक्रमण विदेशों से देश में प्रवेश कर रहा था, तो हमने शहरों में प्रयोगशालाओं को स्थापित करने पर ध्यान दिया। हमारा फोकस संक्रमण के हॉटस्पॉट पर केंद्रित रहा।''
प्रवासियों की वापसी से पहले राज्यों को किया गया तैयार
सरकार ने प्रवासियों को घर वापस जाने की अनुमति देना शुरू किया, उससे पहले उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में परीक्षण सुविधाओं को दुरुस्त कर लिया गया। जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेज नहीं होने और जिला स्तर के अस्पतालों में विशेष सेट-अप नहीं होने के कारण यह बहुत मुश्किल था। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "यह काफी चुनौतीपूर्ण रहा है क्योंकि मेडिकल कॉलेज के बाहर की प्रयोगशालाओं में मानव संक्रामक सामग्री से निपटने का अनुभव कम है।"
सुदूर इलाकों की भी हुई मैपिंग
अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, लद्दाख, गोवा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों में मैपिंग की गई और कोरोना से लड़ने के लिए तैयार किया गया। भारत ने फरवरी के पहले सप्ताह में 13 लैब तैयार किया था। 24 मार्च तक देश में कुल 123 लैब थे। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की थी। इस महीने के अंत तक भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मुलाकर कुल 609 टेस्टिंग लैब हैं।