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लॉकडाउन में इंडो-नेपाल बॉर्डर सील, दोनो तरफ दोनों देशों के फंसे हैं सैकड़ों लोग

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कोरोना संक्रमण के बीच अचानक लॉकडाउन होने और इंडो-नेपाल बॉर्डर सील होने के कारण पिछले दो माह से दोनो तरफ दोनों देश के लोग फंसे हुए हैं। भारतीय क्षेत्र के लोग सीमा पार नेपाल के विराटनगर सहित अन्य जगहों पर तो वहीं नेपाल के लोग जोगबनी में फंसे हैं।

नेपाल में कोलकाता, वर्द्धमान, पश्चिमी मिदनापुर, पूर्वी मिदनापुर, पटना,  झारखंड, झंझारपुर सहित कई जगहों के लोग फंसे हैं। वे अपने घर लौटना चाहते हैं लेकिन सीमा सील होने के कारण नहीं आ पा रहे हैं। कोई इलाज कराने विराटनगर गया था तो कोई शादी समारोह में शिरकत करने। कोई श्राद्धकर्म में शामिल होने तो कोई वहां कारीगर का काम करता था। लेकिन आज ये लोग दो माह से फंसे हुए हैं। विराटनगर अपने रिश्तेदार मनीष अग्रवाल के यहां पहुंचे झारखंड झाझा निवासी मिता देवी, उमाशंकर कुमार कहते हैं कि वे लोग  दो माह से परेशान हैं। घर से गाड़ी भी आई लेकिन जोगबनी से ही उसे लौटना पड़ा। इसी तरह विराटनगर में आंख का ऑपरेशन करने आए सहरसा निवासी निलेन्द्र सिंह, कुणाल सिंह, भागवत सिंह, नंद किशोर झा ने बताया कि इलाज कराने के बाद से वे लोग फंसे हुए हैं। इन लोगों का कहना है कि जिसके यहां ठहरे थे वे लोग भी परेशान हैं।

विराटनगर अपने रिश्तेदार अरूण ठाकुर के यहां शादी में आए पटना के राजेश ठाकुर, प्रतिभा ठाकुर, हर्ष ठाकुर, प्राथवी ठाकुर भी पत्नी व बच्चे के साथ दो माह से फंसे हैं। इन लोगों ने सरकार से मांग की है उन्हें जल्द से जल्द घर लौटने की अनुमति दी जाय। इन लोगों का पटना में कारोबार है।

विराटनगर में काम छूटने के बाद कोलकाता के सैकड़ों कारीगर घर लौटना चाहते हैं, लेकिन नहीं लौट पा रहे हैं। हालांकि इन लोगों को लाने के लिए कोलकाता से अंतराज्यीय परमिट के साथ बस भी आई थी लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ा । कारीगर रामचन्द्र कुमार, सिंधेश्वर, राम कुमार, सुशांत भौमिक, आतिश पुड़िया, सोमनाथ दलाई, सुमित मंडल, हिमाद्री मन्ना आदि ने बताया वे लोग विराटनगर में ज्वेलर्स के यहां कारीगरी का काम करते हैं। वर्द्धमान, पश्चिम मिदनापुर व पूर्वी मिदनापुर के यहां रहने वाले हैं। हमलोगों के साथ महिला व बच्चे भी हैं। लेकिन लॉकडाउन में काम छूट गया। काम छूटने के बाद अपने घर कोलकाता जाना चाहते हैं लेकिन नहीं जा पा रहे है।

विराटनगर के डॉ केएन ठाकुर के यहां श्राद्धकर्म में आए आधा दर्जन से अधिक लोग फंसे हैं। टाटानगर झारखंड से अनंत नाग ठाकुर, अंजना ठाकुर, झंझारपुर के समीर कुमार चौधरी, उनकी पत्नी व बेटी भी अपने-अपने घर लौटना चाहते हैं। लेकिन बॉडर सील होने व अनुमति नहीं मिलने के कारण फंसे हुए हैं।

जोगबनी में नेपाल के मोरंग, झापा, सुनसरी, सप्तरी आदि जिले के 235 लोग क्वारंटाइन में रह रहे हैं। इसमें महिला व बच्चे भी शामिल हैं। जबकि अधिकांश लोगों ने क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर ली है। लेकिन बॉर्डर सील रहने के कारण क्वारंटाइन सेंटर में रहने की मजबूरी बनी हुई है। विराटनगर के टंकी सीनवाड़ी में लगभग 60 दिनों से फंसे सुरेश झा झारखंड जाना चाह रहे हैं। 

बोले नेपाल के अधिकारी:
आपसी बातचीत से जल्द ही नाका की समस्या का समाधान कर लिया जाएगा । संज्ञान उनके जेहन में हैं। पहल जारी है। - मदन भुजेल, चीफ डिस्ट्रिक ऑफिसर, मोरंग नेपाल
 
बोले फारबिसगंज एसडीओ:
अभी तक गृह मंत्रालय से कोई एडवाजरी नहीं आयी है, लेकिन जानकारी हमलोगों को है। बहु जल्द इंडो-नेपाल में फंसे लोगों की समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। - योगेश कुमार सागर, एसडीओ फारबिसगंज, अररिया