अवसान / पूर्व हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह का 96 की उम्र में निधन, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- वे अच्छे खिलाड़ी होने के साथ मेंटर भी थे
by दैनिक भास्कर- बलबीर सिंह सीनियर पिछले दो हफ्ते से मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे
- इलाज के दौरान उन्हें तीन बार दिल का दौरा भी पड़ा था, वे 18 मई से कोमा में थे
- उन्हें 1957 में पद्मश्री मिला था, वे यह सम्मान हासिल करने वाले देश के पहले खिलाड़ी थे
दैनिक भास्कर
May 25, 2020, 03:33 PM IST
हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में शुमार बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार सुबह 96 साल की उम्र में मोहाली में निधन हो गया। वे पिछले दो हफ्ते से यहां के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे।उन्होंने सुबह साढ़े छह बजे अंतिम सांस ली। हॉकी इंडिया ने भी पूर्व ओलिंपियन बलबीर सिंह के निधन पर दुख जताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी पूर्व ओलिंपियन बलबीर सिंह के निधन पर दुख जताया। मोदी ने कहा कि बलबीर सिंह न सिर्फ अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन बतौर मेंटर भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी थी। उन्हें पूरा देश उनके खेल के लिए याद रखेगा। उन्होंने कई मौकों पर देश का सम्मान बढ़ाया।
खेल मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट किया- भारत के महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह के निधन से गहरा दुख हुआ। मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।
अभिनव बिंद्रा ने कहा, ‘‘मेरे लिए उनसे सम्मान प्राप्त करना गौरव की बात थी। वे एथलीटों के लिए रोल मॉडल रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि दुनिया भर के एथलीट उनसे प्रेरणा लेते रहेंगे।’’
मेरी उनके साथ फोटो खिंचवाने की तमन्ना अधूरी रह गई: सरदार सिंह
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सरदार सिंह ने कहा- वह मेरे और कई हॉकी खिलाड़ियों के लिए आदर्श थे। उनकी मौत के साथ मेरी एक इच्छा हमेशा के लिए अधूरी रह जाएगी। मेरा सपना था कि मैं उनके तीन ओलिंपिक स्वर्ण पदक के साथ अपनी एक तस्वीर क्लिक करूं, लेकिन यह अब संभव नहीं है।
बलबीर सिंह को 8 मई को अस्पताल में भर्ती किया गया था
इस पूर्व ओलिंपियन को 8 मई को निमोनिया और तेज बुखार की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उन्हें तीन बार दिल का दौरा भी पड़ा। दिमाग में खून का थक्का जमने की वजह से वे 18 मई से कोमा में थे।
बलबीर सिंह ने हेलसिंकी ओलिंपिक के फाइनल में पांच गोल दागे
बलबीर ने 1952 के हेलसिंकी ओलिंपिक के फाइनल में नीदरलैंड्स के खिलाफ 5 गोल किए थे। किसी ओलिंपिक फाइनल में सबसे ज्यादा गोल करने का उनका यह रिकॉर्ड आज भी कायम है। भारत ने यह मुकाबला 6-1 से जीता था।
वे तीन बार के ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट थे
वे लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलिंपिक में गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। उन्हें अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी ने आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम खिलाड़ियों में शामिल किया था। वे इस लिस्ट में शामिल होने वाले देश के इकलौते खिलाड़ी थे।
पद्मश्री हासिल करने वाले देश के पहले खिलाड़ी थे
इस पूर्व ओलिंपियन को 1957 में पद्मश्री दिया गया था। वह यह सम्मान हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी थे। वे 1975 में इकलौता हॉकी वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर थे।
बलबीर सिंह की कप्तानी में भारत ने 1956 ओलिंपिक में गोल्ड जीता था
सिंह ने भारत के लिए 61 मैच में 246 गोल किए थे। 1956 मेलबर्न ओलिंपिक में उन्होंने भारतीय दल की अगुआई की थी। तब उनकी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को 1-0 से हराकर लगातार तीसरी बार गोल्ड जीता था।