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लॉकडाउन के बाद फिर से चलने को तैयार दिल्ली मेट्रो, एक कोच में सफर कर पाएंगे सिर्फ 50 यात्री

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लॉकडाउन में 60 से अधिक दिनों तक बंद रहने के बाद मेट्रो परिचालन को फिर तैयार है। मगर, अब उसमें आपको भीड़ नहीं दिखेगी। जब मेट्रो का परिचालन शुरू होगा तो एक कोच में अधिकतम 50 लोग ही सफर कर पाएंगे। सबसे लंबी आठ कोच वाली ट्रेन में एक बार में 400 यात्रियों को सफर करने का मौका मिलेगा।

सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) के साथ मेट्रो खड़े होकर सफर की अनुमति देगा। मगर, यात्री को सुनिश्चित करना होगा कि वह एक मीटर के दूरी बनाकर सफर करेंगे। मेट्रो सुरक्षाकर्मियों, सीसीटीवी कैमरे के जरिए लोगों की निगरानी करेगा। इसके अलावा सीट पर बैठने वालों को एक सीट छोड़कर बैठना होगा। मसलन दो यात्रियों के बीच एक सीट खाली रहेगी। मेट्रो ने इसके लिए सीट पर स्टिकर भी लगाएं हैं। 

गौरतलब है कि दिल्ली में चार, छह और आठ कोच वाली ट्रेन चलती है। अगर एक कोच में 50 लोग सफर करेंगे तो चार कोच वाली ट्रेन में 200, छह कोच वाली में 300 और आठ कोच वाली ट्रेन में 400 यात्री एक बार में सफर कर पाएंगे। मेट्रो का कहना है कि अगर कही लगता है ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग की गुंजाइश है तो यह संख्या थोड़ी ऊपर नीचे भी हो सकती है।

300 ट्रेन रोज लगातीं 5000 से अधिक फेरे

दिल्ली मेट्रो के पास चार, छह और आठ कोच वाली वाली 300 से अधिक मेट्रो ट्रेन सेट है। यह ट्रेन रोज अलग-अलग लाइन पर 5000 से अधिक फेरे लगाती हैं। यह दिल्ली एनसीआर के छह शहरों नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, दिल्ली और बहादुरगढ़ को आपस में जोड़ती हैं।

करोड़ का नुकसान हो चुका है बंदी में
 
75 फीसदी परिचालन घाटे के साथ चलेगी लॉकडाउन से पहले मेट्रो में रोजाना 28 लाख से अधिक लोग सफर करते थे। परिचालन से ही मेट्रो को रोजाना 10 करोड़ का फायदा होता था। तब आठ कोच वाली मेट्रो में अधिकतम 2500 लोग सफर करते थे। मगर, अब यह संख्या 400 पर पहुंच गई है। ऐसे में मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि परिचालन शुरू होने के बाद भी उनका घाटा जारी रहेगा। पहले ही 60 दिनों से अधिक दिनों की पाबंदी के बाद मेट्रो को 600 करोड़ का नुकसान हो चुका है। मेट्रो का कहना है कि कोरोना के इस समय में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ परिचालन करना जरूरी है।