वॉयलेंस और गाली-गलौज के तड़के वाली वेबसीरीज के बीच सुकूनभरी है ‘पंचायत’

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शहर का एक पढ़ा-ल‍िखा लड़का शहर में रहना चाहता है। वो एमबीए कर के कॉर्पोरेट ऑफि‍स में काम करना चाहता है। लेक‍िन उसकी सरकारी नौकरी उत्‍तर प्रदेश के फुलेरा गांव में लग जाती है। लेक‍िन ग्राम पंचायत में सच‍िव के पद की नौकरी के ल‍िए वो ब‍िल्‍कुल भी तैयार नहीं है। उसका दोस्‍त उसे समझाता है क‍ि जब तक कोई ओर नौकरी नहीं हो जाती तब तक वहां काम करें। वो जॉइन करने के ल‍िए फुलेरा पहुंच जाता है और काम शुरू कर देता है। शहरी म‍िजाज का आदमी जब गांव की जीवन शैली जीता है तो ऊब जाता है। लेक‍िन धीरे-धीरे गांव के जीवन के ईर्द-ग‍िर्द की कहान‍ियां उसे घेर लेती हैं और वो उसमें रचने-बसने लगता है।
यह नई वेबसीरीज ‘पंचायत’
की कहानी का प्‍लाट है। डायरेक्टर- दीपक मिश्रा की इस वेबसीरीज में रघुवीर यादव और नीना गुप्ता जैसे मंझे हुए कलाकारों के साथ लीड लोड में जितेंद्र कुमार ने काम क‍िया है।
गांव की पृष्‍ठभूम‍ि में गुनी हुई कहानी में रोजाना छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं। उसी में पंचायत का सच‍िव अभिषेक त्र‍िपाठी यानी जीतेंद्र कुमार उलझता रहता है।


गांव फुलेरा, जहां उसकी नौकरी लगी है वहां कई समस्‍याएं भी हैं। ग्राम पंचायत का प्रधान होती तो मंजू देवी (नीना गुप्‍ता) हैं, लेकिन उनके पति प्रधानपति (रघुबीर यादव) बनकर सारा काम खुद ही देखते हैं। इन्हीं के अंदर रहकर अभिषेक को काम करना होता है। 20 हजार की नौकरी में कई तरह की समस्‍याओं से उलझते हुए अभिषेक को गांव में रहते हुए दो साल हो जाते हैं।
फुलेरा में रहते हुए वहां से न‍िकलने के ल‍िए वो एमबीए की तैयारी भी करता है। लेक‍िन कैट की एक्‍जाम वो क्‍लीयर नहीं कर पाता है। धीमे-धीमे गांव की आबोहवा में वो रमने-बसने लगता है।
म‍िर्जापुर जैसी ह‍िंसा, गाली- गलौज और सेक्‍स के तड़के वाली अमेजॉन वेबीसीरीज के बीच पंचायत एक बेहह ही साफ सुथरी सीरीज है। लेक‍िन इसमें चौंकाने वाली कोई बात नहीं है। ब‍िल्‍कुल सहज और एकरसता के साथ कहानी चलती रहती है। हर एप‍िसोड के बाद लगता है क‍ि शायद अब कहानी कोई मोड़ लेगी या शायद चौंकाएगी लेक‍िन अंत तक ऐसा कुछ नहीं होता है।
हालांक‍ि कहानी में इमोशनल उतार चढाव, सोशल मैसेज, गुस्सा, फ्रस्ट्रेशन, यूनिटी, कॉमेडी, एक्शन सब देखने को मि‍लता है। लेक‍िन वो दूसरी वेबसीरीज से ब‍िल्‍कुल अलग है।

वेब सीरीज का डायरेक्शन, शानदार डायलॉग, कैमरा वर्क सभी काफी अच्छा है। गांव का पूरा फील आता है। लॉकडाउन के की बोरयित दूर करने के लिए इसे देखा जा सकता है। हालांक‍ि देखने से भी कुछ हास‍िल नहीं होगा।



नोट: इस लेख में व्‍यक्‍त व‍िचार लेखक की न‍िजी अभिव्‍यक्‍त‍ि है। वेबदुन‍िया का इससे कोई संबंध नहीं है।