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व्यवस्था से संवाद करता भिखारीनामा

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बिहार के प्रसिद्ध लोक संस्कृतिकर्मी भिखारी ठाकुर के जीवन पर आधारित नाटक भिखारीनामा का मंचन शुक्रवार (14 फरवरी) को राजधानी के मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर सभागार में किया गया। पहली बार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित भारत रंग महोत्सव में भिखारीनाम का चयन हुआ है। यह नाटक भोजपुरी में है। भिखारी ठाकुर रंग मंडल की सवा घंटे की प्रस्तुति ने केवल भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है बल्कि मौजूदा व्यवस्था से भी संवाद करता है।

संगीत प्रधान यह नाटक भिखारी ठाकुर के जीवन और रंगमंच के उनके योगदान पर आधारित है। इसके चार भाग हैं। विभिन्न भागों में उनके जीवन के विभिन्न पहलु हैं। बचपन से उनकी युवा अवस्था तक जीवन का वृतांत बताता यह नाटक भिखारी ठाकुर के विवाह, बंगाल प्रवास और आजीविका के लिए संघर्ष पर जहां प्रकाश डालता है वहीं उनके बंगाल में अपने जातिगत पेशा नाई का काम जारी रखने व रामलीला प्रदर्शनों में उनकी गहरी दिलचस्पी को भी दिखाता है। यह नाटक उनकी जीवन यात्रा के साथ उस दौर के समाज और वर्तमान समय के समाज की विसंगतियों के बिंब भी प्रस्तुत करता है।

जेएनयू में लौंडा नाच पर अपनी पीएचडी करने वाले और  भिखारी ठाकुर रंग मंडल के संस्थापक जैनेंद्र दोस्त बताते हैं कि भारत रंग महोत्सव में हिस्सा लेना किसी भी कलाकार के लिए गर्व की बात है। हम अपनी टीम के साथ बिहार के छपरा से आए हैं। भिखारी ठाकुर पर बहुत काम हुआ है। भिखारीनामा के माध्यम से भिखारी ठाकुर के विचार को इतिहास को भी दिखाना चाहता हूं। हमें खुशी है कि एनएसडी ने हमें यह मौका दिया। यहां दर्शकों ने काफी सहारा है। तीन संगीतकार और दो कलाकारों के साथ मैं देश के तमाम स्कूलों में जाना चाहता हूं और उनके विचारों को लोगों बताना चाहता हूं। मैं इस नाटक में भिखारी ठाकुर और सूत्रधार बना हूं। 

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नाटक की जान है संगीत
इस नाटक में संगीत सरिता साज ने दिया है। संगीत इस नाटक की जान है। सरिता साज ने इस नाटक में  ऐसे रंग मंचीय रूप में पूर्बी, निर्गुण, दोहा, चौबोला और अन्य लोक परंपराओं का प्रयोग किया है जो  भिखारी ठाकुर के जीवन के सांस्कृतिक, समाजशास्त्रीय और आर्थिक पक्षों को उभारता है। 

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भिखारी ठाकुर की टीम के चार कलाकारों ने किया मंचन
भोजपुरी में नाटक और लौंडा नाच के क्षेत्र में सशक्त पहचान बनाने वाले भिखारी ठाकुर का निधन 1971 में हो गया। लेकिन भिखारीनामा में उनकी टीम के चार लोग रामचंद्र मांझी, लखीचंद मांझी,शिव लाल बारी व छोटे रामचंद्र माझी ने मंच पर विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं। संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित 95 वर्षीय रामचंद्र मांझी बताते हैं कि मैं जब 10 साल का था तबसे मैं भिखारी ठाकुर से जुड़ा हूं। मंच पर मैं महिलाओं की भूमिका करता था। उनके साथ कई जगहों शो करने गया। इस मंच पर भी मैं नृत्य करूंगा। वह मौजूदा भोजपुरी संगीत में बढ़ती अश्लीलता को लेकर व्यथित हैं। उन्होंने बताया हमारे समय में अनुशासन अधिक था। मंच पर बूढ़े भिखारी ठाकुर की भूमिका निभा रहे शिवलाल बारी ने बताया कि मैं जब दूसरी कक्षा में पढ़ता तब से उनके साथ जुड़ा था। मंडली में बच्चे की भूमिका करने वाला कोई नहीं था। इस तरह मैं उनसे पढ़ाई छोड़कर जुड़ गया। बाद में मैं उनकी सेवा करने लगा।