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यलगार परिषद केस: अपनी ही सरकार से शरद पवार नाखुश, बोले- कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य का विषय

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महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के यलगार परिषद मामले को केंद्र को सौंपे जाने के फैसले पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नाखुशी जताई है। पवार ने कहा है कि केंद्र का एनआईए को यलगार परिषद मामला दिए जाने का निर्णय अनुचित था। लेकिन इससे ज्यादा अनुचित यह है कि राज्य सरकार ने इसे मंजूरी दे दी। पवार ने कहा है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखना एक राज्य का विषय है।

पिछले साल महाराष्ट्र चुनाव के बाद राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनी थी। उसके बाद से यह पहला मामला है जब उद्धव ठाकरे के किसी फैसले पर शरद पवार ने नाखुशी जताई। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि यलगार परिषद मामले की जांच एनआईए द्वारा अपने हाथ में लेने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। केंद्र सरकार ने पिछले महीने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंप दी थी। 

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कोल्हापुर में प्रेस कांफ्रेस में कहा, 'कानून और व्यवस्था बनाए रखना एक राज्य का विषय है। राज्य के अधिकारों पर अतिक्रमण करना और इस कदम के लिए महाराष्ट्र सरकार का समर्थन अधिक अनुचित है।'

महाराष्ट्र के गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंजूरी देने के लिए अपनी विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल किया। देशमुख ने कहा कि अभी भी इस बात से सहमत हैं कि एनआईए को जांच सौंपने से पहले केंद्र को राज्य सरकार को विश्वास में लेना चाहिए था।

उन्होंने कहा, 'हमने पिछली सुनवाई में पुणे सत्र न्यायालय में यह स्पष्ट किया था। हालांकि, हमारे निर्णय को मुख्यमंत्री ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए बदल दिया।' महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने के कुछ समय बाद ही शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर इस मामले में एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी।