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Health Tips: जानें बदलते मौसम में अपने दांतों को कैसे रखें फिट

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बदलता मौसम कई शारीरिक दिक्कतें साथ लेकर आता है। दांतों से जुड़ी समस्या भी इनमें से एक है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस वक्त ओरल हेल्थ का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है, ताकि किसी बड़ी बीमारी से बचा जा सके। इस मौसम में दांत में दर्द को नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह दर्द गंभीर समस्याएं भी पैदा कर सकता है। इस बारे में जानकारी दे रही हैं चयनिका निगम।

फरवरी की दस्तक मतलब मौसम का बदलाव और मौसम का बदलाव यानी ढेर सारी शारीरिक दिक्कतें। कभी जोड़ों में दर्द, तो कभी सांस से जुड़ी परेशानियां इन दिनों होती ही रहती हैं। लेकिन इन्हीं दिक्कतों के बीच दांतों की सेहत बिगड़ जाए, तो स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है। वैसे भी दांतों का दर्द आमतौर पर असहनीय होता है। अब ऐसे में अगर यही दर्द या दांतों से जुड़ी कोई भी दूसरी परेशानी बदलते मौसम में हो रही है, तो इसे सिर्फ दर्द समझने की गलती न करें। आइए जानें कुछ जरूरी बातें।

ब्रश से भागे खतरनाक वायरस
यह एक ऐसा मौसम है, जब कई तरह के खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इनके बढ़ने का सबसे अनुकूल समय वह होता है, जब मौसम में हल्की सर्दी और हल्की गर्मी होती है। क्योंकि अत्यधिक सर्दी या गर्मी में बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। लिहाजा बदलते मौसम में बैक्टीरिया से  दांतों को बचाना बहुत जरूरी है।  ये मुंह में जगह बना कर बाकी शरीर को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसका सबसे आसान तोड़ यह है कि ब्रश नियमित करें और मुंह की साफ-सफाई पर ध्यान दें।

समस्या को गंभीरता से लें
बदलते मौसम में दांत में किसी भी तरह की दिक्कत हो सकती है। यह दिक्कत आपको कई बार सामान्य लग सकती है लेकिन याद रखें कि इस वक्त सामान्य दिखने वाली दिक्कत जरूरी नहीं कि सामान्य ही हो। इसलिए इस वक्त रूट केनाल ट्रीटमेंट कराना हो या दांतों में ठंडा-गर्म लगने जैसी समस्या हो, इसे मामूली न समझें और डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।

कोरोना वायरस का भी है खतरा
आजकल लगातार फैलते जा रहे कोरोना वायरस का संबंध मुंह की साफ-सफाई से भी है। दिक्कत यह है कि ज्यादातर लोग इस बारे में जानते ही नहीं। दरअसल, जब हम मुंह से सांस लेते हैं, तो वायरस मुंह में घर बना लेते हैं। फिर खाने के साथ शरीर में प्रवेश भी आसानी से कर जाते हैं और फेफड़ों को प्रभावित करने लगते हैं। इससे बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखने की सख्त जरूरत होती है। अगर सफाई की जाएगी, तो ये वायरस मुंह में रुक नहीं पाएंगे। इसलिए दिन में कम से कम तीन बार कुल्ला करने की आदत डाल ही लें।

जब लगे ठंडा या गर्म
डॉक्टर मानते हैं कि इन दिनों अगर आपको गर्म या ठंडा खाना दांतों पर लग रहा हो, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अगर पूरे मुंह में ठंडा-गर्म लग रहा है, तो ये पायरिया के लक्षण हो सकते हैं। किसी खास दांत में ऐसा महसूस हो रहा हो, तो कैविटी की 90 प्रतिशत आशंका रहती है। इसलिए पहले मुंह की समुचित साफ-सफाई करके या घरेलू उपाय अपनाकर देखें कि आराम मिल रहा है या नहीं। आराम न मिले, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। दरअसल, मुंह में अच्छे और बुरे दोनों ही बैक्टीरिया होते हैं। पर बदलते मौसम में बुरे बैक्टीरिया ज्यादा सक्रिय होकर अच्छे बैक्टीरिया को काम नहीं करने देते।

बुजुर्गों और बच्चों को है ज्यादा खतरा
वायरस कोई भी हो, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण बुजुर्गों और बच्चों को इससे सर्वाधिक खतरा होता है। इसलिए जरूरी है कि बुजुर्ग, बच्चे और सांस की बीमारी का सामना कर रहे लोग भीड़भाड़ वाली जगह पर मास्क लगा कर ही जाएं।

अगर हुई हो सर्जरी
इस मौसम में ऐसे लोगों को खास सावधानी बरतनी चाहिए, जिनकी पिछले कुछ दिनों में कोई बड़ी सर्जरी हुई हो। अगर आपको कोई भी संक्रमण हुआ है, तो वह आपके संवेदनशील हिस्से पर गलत असर डाल सकता है। यही संक्रमण अगर मुंह या दांत में होता है, तो खतरा अधिक होता है। दरअसल, मुंह में होने वाले पायरिया जैसे संक्रमण बाकी शरीर में होने वाले संक्रमण की तुलना में 5 गुना तेजी से संवेदनशील जगह को प्रभावित करते हैं। संक्रमण मुंह से दूसरी जगह आसानी से पहुंच जाता है। ऐसे में अगर सर्जरी हुई है, तो वायरस इस पर हमला बोल देते हैं। गर्भवती महिलाओं को भी मुंह के संक्रमण से बचने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि कई वायरस ऐसे होते हैं, जो अम्बिलिकल कॉर्ड (नाभि रज्जु) से होते हुए बच्चे तक भी पहुंच जाते हैं। एक से दूसरी जगह पहुंचने की इस स्थिति को सेकेंड्री इन्फेक्शन कहा जाता है।

गलत एंटीबायोटिक का असर
गलत एंटीबायोटिक से ये नुकसान हो सकते हैं-

बुरे बैक्टीरिया के लक्षण
अगर बुरे बैक्टीरिया ज्यादा सक्रिय होंगे, तो आपको दांतों में कुछ दिक्कत महसूस होंगी जैसे-

ज्यादातर लोग दांतों में दर्द होने पर मेडिकल स्टोर से खुद ही एंटीबायोटिक दवाएं ले आते हैं, जबकि यह तरीका बिल्कुल गलत है। डॉक्टर मानते हैं कि इससे कई बार गलत दवाएं शरीर में चली जाती हैं। कई बार तो ऐसी दवा का बैक्टीरिया पर असर ही खत्म हो जाता है। फिर जब डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तो जो काम कम डोज की दवा से हो सकता था, उसके लिए ज्यादा डोज की जरूरत पड़ती है।
उबकाई या उल्टी महसूस होना।

(डेंटिस्ट डॉ. अभिनव कुशवाहा से की गई बातचीत पर आधारित)