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बजट 2020:जानिए कैसे इनकम टैक्स में छूट देकर सरकार आपको दे सकती है राहत

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केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट में गिरी हुई अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई कदम उठा सकती हैं। कई रिपोर्ट्स इशारा संकेत दे रही है कि सरकार मौजूदा इनकम टैक्स छूट में आंशिक तौर पर छूट देकर मंदी से उबारने का प्रयास कर सकती है।

महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश के साथ ही अर्थशास्त्रियों ने सरकार से यह भी अपील की है कि वे मौजूदा इनकैम टैक्स स्लैब को सुधार करे या फिर रिटर्न्स पर हायर टैक्स डिडक्शंस दे ताकि व्यक्तिगत तौर पर फायदा हो पाए।

बढ़ें स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट

वेतनभोगी और कारोबारी वर्ग को बराबरी के स्तर पर रखे जाने के लिए साल 2018 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को फिर से लाया गया। उस वक्त इसकी सीमा 50 हजार रुपये तक की गई। लेकिन, सरकार को चाहिए कि वे इसे बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दे। इसका सीधे तौर पर यह अर्थ है कि किसी व्यक्ति की सालाना सैलरी में से पहले 50 हजार रुपये की रकम को निश्चित रूप से घटाकर ही उसके बाद टैक्स का आकलन किया जाता है।

बढ़ाएं बेसिक छूट की सीमा

साल 2014 से ही आयकर के मामले में बुनियादी छूट की सीमा ढाई लाख रुपये तक रही है। पिछले सरकार ने साल इसे बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया, लेकिन यह उन्हीं लोगों के लिए जिनकी आय पांच लाख रुपये तक है। सरकार ढ़ाई से पांच लाख रुपये तक की आय पर लगने वाले कर के बदले एकमुश्त रिबेट देती है। इसे सबके लिए बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक की आय को पूरी तरह से टैक्स फ्री कर देना चाहिए।

मेडिकल रीइम्सबर्समेंट एंड ट्रैवल अलाउंस पर मिले छूट

स्टैंडर्ड डिडक्शन फिर से लाने के साथ ही मेडिकल इम्सबर्समेंट और ट्रैवल अलाउंस पर फिर मिलने वाले टैक्स छूट को साल 2018 में बजट में खत्म कर दिया गया। इन्हें फिर से वापस लाना चाहिए और इनकी सीमा भी ज्यादा रखनी चाहिए। इसके साथ ही, लोगों का स्वास्थ्य और ट्रैवल का खर्च बढ़ता जा रहा है, इसलिए मेडिकल रीइम्बर्समेंट पचास हजार रुपये सालाना तक और तीन हजार तक मासिक ट्रैवल अलाउंस को टैक्सेबल आय के दायरे से बाहर रखना चाहिए।

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