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119 कर्मचारियों के वीआरएस लेने से बीकानेर बीएसएनएल में होगा कार्य प्रभावित

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बीकानेर। भारत सरकार के उपक्रम भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के बीकानेर कार्यालय से 119 कर्मचारियों के शुक्रवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेने के बाद कार्य प्रभावित होने की आशंका है।

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बीएसएनएल के सूत्रों ने बताया कि एक साथ इतने कर्मचारियों के हटने के बाद स्थिति से निपटने के लिये अब तक निगम के उच्चाधिकारियों ने वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है जिससे एक फरवरी से निगम के दैनिक कार्यों को सरलता से सम्पादित किया जा सके। हालांकि दूरभाष और लाइनों के रख रखाव के लिये प्राइवेट टेंडर किये जा रहे हैं, लेकिन उनको आमन्त्रित करने, ठेकेदार को काम आवंटित करने में दो से तीन महीने का समय लगना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे कोई उच्चाधिकारी इन्कार नहीं कर सकता।

सूत्रों ने बताया कि उच्चाधिकारियों के इसी रवैये के कारण भारत संचार निगम लिमिटेड की यह हालत बनी है, क्योंंकि बीएसएनएल में कार्यरत ये उच्चाधिकारी आई टी एस है और ये केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं न कि बीएसएनएल के। लिहाजा बीएसएनएल के घाटे-फायदे का इन्हें कोई लेना देना नहीं हैं। समय रहते ये सरकारी नुमाइंदे सरकार को सलाह देते रहते तो वर्तमान में बीएसएनएल में वीआरएस की जरूरत नहीं पड़ती। समय पर 4 जी लाने की जिम्मेदारी अधिकारियों की थी, लेकिन इन्होंने कभी सरकार को प्रस्ताव ही नहीं भेजा।

सूत्रों ने बताया कि नॉन एक्जीक्यूटिव यूनियन द्वारा बरसों से आंदोलन करने पर सरकार चेती, लेकिन सरकार ने इसके उपाय के लिये निजीकरण रास्ता अपनाकर कर्मचारियों में भय व्याप्त कर दिया। बाद में वीआरएस ले आये, नतीजतन ज्यादा बचे सेवाकाल के कर्मचारी आर्थिक नुकसान होने के बाद भी अनिश्चितता के वातावरण के चलते वीआरएस लेने को मजबूर हुए।

शुक्रवार को बीकानेर जिले में 119 कर्मचारी/अधिकारी वीआरएस ले रहे हैं जो बीकानेर कार्यालय में संचार तन्त्र की रीढ़ हैं। जाहिर है बीएसएनएल की कार्यक्षमता पर इसका असर पड़ेगा। सूत्रों ने बताया कि इतनी संख्या में वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी जो नहीं की गयी। ऐसी स्थिति में भूमिगत केबल क्षतिग्रस्त हो गयी तो इसको दुरुस्त करने की व्यवस्था नहीं है।

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