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देश में नौकरियां देने के लिए इकोनॉमिक सर्वे में नया चीनी फॉर्मूला 

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देश में नौकरियां देने के लिए इकोनॉमिक सर्वे में नया फॉर्मूला सुझाया गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया कि सरकार अगर असेंबल इन इंडिया फॉर वर्ल्ड फॉर्मूले पर काम करती है तो आने वाले सालों में देश में बंपर नौकरियों के अवसर पैदा किए जा सकते हैं।

वित्त मंत्री ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश किया। सर्वे पेश होने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यन ने एक प्रेजेंटेशन दी। प्रेजेंटेशन में उन्होंने बताया कि अगर भारत देश में चीन का मॉडल अपना ले तो 2025 तक चार करोड़ नौकरियां पैदा की जा सकती हैं।

यही नहीं मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि नीति पटरी पर चली तो आने वाले सालों में नौकरियों में और इजाफा संभव है। 2030 तक अच्छी तन्ख्वाह वाली 8 करोड़ तक नौकरियां दी जा सकती हैं। सर्वे में बताया गया है कि अगर सरकार मेक इन इंडिया में ही असेंबल इन इंडिया को भी जोड़ दे तो भारत में भी चीन की तरह बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा की जा सकती हैं। उन्होंने ये भी सलाह दी कि देश में उत्पादों का निर्यात करके हम 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी के लक्ष्य को भी पा सकते हैं।

सुझाव के मुताबिक असेंबल इन इंडिया फॉर वर्ल्ड नीति को अपना कर देश का निर्यात 2025 तक 3.5 फीसदी और 2030 तक 6 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही नौकरियां भी बड़े पैमाने पर पैदा होंगी।

कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने कहा कि वेल्थ क्रिएशन के लिए बाजार की ताकतों पर भरोसा करना चाहिए और ऐसी नीतियां होनी चाहिए जो कारोबारियों की मदद करें। साथ ही अर्थव्यवस्था की प्रक्रिया से आम आदमी को भी जोड़ना बेहद जरूरी है। उन्होंने ये भी बताया कि भारत में बैंकिंग ताकत दुनिया के मुकाबले अभी काफी कम है। जरूरत है कि बैंकिंग सेवाओं और कर्ज देने की क्षमता ग्रामीण और दूर दराज के इलाकों तक पहुंचने की जरूरत है।
इकनॉमिक सर्वे 2020 में वित्तवर्ष 2021 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6-6.5% जताया गया है। इकनॉमिक सर्वे में माना गया है कि इस साल रेवेन्यू में कमी के चलते सरकार को इस साल फिस्कल डेफिसिट के मोर्चे पर कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। सरकार का मानना है कि फूड सब्सिडी में कटौती से डेफिसिट कम किया जा सकता है।

सर्वे में ये भी सुझाव दिया गया है कि देश में ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा दिए जाने के लिए गैर जरूरी कानूनों को खत्म किया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा निवेश आए और ज्यादा कारोबारी प्रभावी तौर पर काम कर सकें। साथ ही बाजार में दखल देने वाली नीतियों को खत्म किए जाने की भी जरूरत पर जोर दिया गया।