Economic Survey 2020: ग्लोबल मंदी है भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती की एक वजह, आएंगे अच्छे दिन!
Economic Survey of India: संसद में पेश इकोनॉमिक सर्वे का ब्योरा देते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के.वी सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय इकोनॉमी में सुस्ती की एक वजह वैश्विक अर्थव्यवस्था का स्लोडाउन भी है. सर्वे के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 से 6.5 फीसदी तक बढ़त हो सकती है.
- संसद में शुक्रवार को पेश हुआ 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे संसद पटल पर रखा था
- सर्वे के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ सुधर सकता है
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के.वी. सुब्रमण्यम का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अभी जो सुस्ती दिख रही है, उसकी एक वजह वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी स्लोडाउन भी है. शुक्रवार को संसद में पेश 2019-20 के इकोनॉमिक सर्वे का ब्योरा देते हुए सुब्रमण्यम ने यह बात कही. इस सर्वे के मुताबिक अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 से 6.5 फीसदी तक बढ़त हो सकती है. यानी इस साल के 5 फीसदी के मुकाबले कहा जाए तो अच्छे दिन आ सकते हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण संसद के पटल पर शुक्रवार को रखा. इस सर्वे रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम आंकड़े पेश किए गए हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में GDP ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी के बीच रहेगी. जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर सरकार का ये अनुमान चालू वित्त वर्ष के 5 फीसदी मुकाबले 0.5 से 1 फीसदी तक अधिक है. बता दें कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 5 फीसदी पर रखा है.
इकोनॉमिक सर्वे के बाद CEA सुब्रमण्यम ने कहा कि लगभग सभी देशों में आर्थिक सुस्ती आई है. वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था में भारत भी अप्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता.
इसे भी पढ़ें: मोदीराज में सस्ती हो गई आम आदमी की थाली! प्रति परिवार एक साल में बचे 11,787 रुपये
गौरतलब है कि पिछले कुछ साल से देश के आर्थिक विकास की रफ्तार काफी घट गई है. इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 में महज 5 फीसदी का ग्रोथ होने का अनुमान है. इस वित्त वर्ष की सितंबर में खत्म दूसरी तिमाही में तो महज 4.8 फीसदी की ग्रोथ हुई है. ऐसे में 6 फीसदी से ऊपर की अगले साल की ग्रोथ रेट राहत देने वाली है. इससे ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ सकती है.
सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पिछले एक साल में इकोनॉमी का सबसे चर्चित मसला रहा है. देश की जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार काफी घट गई है और आधा दर्जन से ज्यादा देसी-विदेशी एजेंसियों ने यह अनुमान जारी किया है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी के आसपास ही रहेगा. सरकार के जीडीपी आंकड़ों को लेकर विवाद भी रहा है.
क्यों महत्वपूर्ण है सर्वे
देश में पिछले कई सालों से जारी आर्थिक सुस्ती के दौर में यह सर्वे काफी महत्वपूर्ण है. पिछले एक साल में देश की अर्थव्यवस्था की हालत और खराब रही है, इसलिए सबकी नजरें इस वित्त वर्ष के आधिकारिक रिपोर्ट पर थीं. इस सर्वे की रिपोर्ट सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के नेतृत्व में एक टीम द्वारा तैयार किया जाता है और वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद इसे जारी किया जाता है.
इसे भी पढ़ें: आ गया रोजगार का आंकड़ा, छह साल में 2.62 करोड़ लोगों को मिली नौकरी
फिलहाल मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम हैं. यह रिपोर्ट 31 जनवरी को यानी आज संसद के दोनों सदनों में वित्त मंत्री के द्वारा रखी गई संसद का बजट सत्र आज सुबह 11 बजे शुरू हुआ और राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद इकोनॉमिक सर्वे को संसद पटल पर रखा गया.