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गृह मंत्री अमित शाह

नागरिकता संशोधन बिल पर 7 घंटे से ज्यादा हुई बहस, रात में भी बैठी संसद

नागरिकता संशोधन विधेयक पर सदन में चर्चा हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया था, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ. एक तरफ विपक्ष इस बिल के खिलाफ दिखा, वहीं भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टियां इस बिल पर केंद्र सरकार को समर्थन देती नजर आईं.

नागरिकता संशोधन विधेयक पर सदन में चर्चा हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया था, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ. एक तरफ विपक्ष इस बिल के खिलाफ दिखा, वहीं भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टियां इस बिल पर केंद्र सरकार को समर्थन देती नजर आईं. विपक्ष ने लगातार इस बिल के खिलाफ आक्रोशित होकर सदन में अपना पक्ष रखा.

कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को अल्पसंख्यक विरोधी बताया है. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि अगर किसी पीड़ित समुदाय को शरण दे रहे हैं तो हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन हमारा विरोध इस बात का है कि इसका मानदंड धर्म को बनाया जा रहा है. इसे बदलना चाहिए. बीजेपी हिंदू राष्ट्र स्थापित करने की तरफ आगे बढ़ रही है.

वहीं सदन में चर्चा के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन बिल की कॉपी को सदन को फाड़ दिया. असदुद्दीन ओवौसी नागरिकता बिल पर बोल रहे थे. ओवैसी ने कहा कि देश का एक और बंटवारा होने वाला है, यह कानून हिटलर के कानून से भी बदतर है. हालांकि ओवैसी की इस प्रतिक्रिया को सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया गया है.

LIVE: नागरिकता बिल पर बोले अमित शाह- कांग्रेस ने विभाजन क्यों नहीं रोका?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को लोकसभा में करीब 12:24 बजे दोपहर में पेश किया था. इस बिल के पेश होने के बाद दोपहर करीब 1 बजकर 38 मिनट पर सदन में वोटिंग हुई, जहां 293 वोट पक्ष में 82 वोट विपक्ष में पड़ा. इस बिल पर अमित शाह करीब 16:42 पर दोबारा भाषण दिया. अमित शाह ने कहा कि इस बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं था, इस बिल से लोगों को न्याय मिलेगा. अमित शाह के भाषण के बाद शाम 5 बजे से ही इस पर चर्चा जारी है.

इस बिल पर रात 10:38 बजे के करीब अमित शाह सांसदों का जवाब देने उतरे. अमित शाह ने सदन में कहा कि मैं चाहता हूं देश में भ्रम की स्थिति न बने. किसी भी तरीके से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है. न ही ये बिल अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है. धर्म के आधार पर ही देश का विभाजन हुआ था. देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो अच्छा होता. इसके बाद इस बिल को लेकर आने की जरूरत हुई. 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था, जो कि धरा का धरा रह गया.