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सांसदों की अनुपस्थिति पर नायडू नाखुश, पार्टियों के नेताओं को लिखा लेटर

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राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन पटल पर दस्तावेज रखे जाने के समय संबद्ध मंत्रियों और प्रश्नकाल में सवाल पूछने वाले सदस्यों के अनुपस्थित रहने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सदस्यों को कम से कम उनसे नाम पर सूचीबद्ध सवाल पूछने या दस्तावेज पटल पर पेश करने के समय सदन में उपस्थित रहना अपेक्षित है।

इस बीच नायडू ने विभाग संबंधित संसद की स्थायी समितियों की बैठक में सदस्यों की गैरहाजिरी पर भी चिंता व्यक्त करते हुये उच्च सदन में सभी दलों के नेताओं को पत्र लिखकर उनके सदस्यों की बैठकों में उपस्थिति सुनिश्चित करने की अपील की है। 

सभापति ने सोमवार को उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान सभी सूचीबद्ध प्रश्नों के मौखिक जवाब मंत्रियों द्वारा दिये जाने की जानकारी देते हुये बताया कि प्रश्न पूछने वाले चार सदस्य अनुपस्थित थे। इनमें भाजपा की कांता कर्दम, विजय पाल सिंह तोमर, आप के संजय सिंह और अन्नाद्रमुक के आर वैद्यलिंगम शामिल हैं। नायडू ने कहा कि अनुपस्थित रहने वाले सदस्यों के नाम सार्वजनिक किये जाने चाहिए। 

शीतकालीन सत्र के दौरान उच्च सदन में यह चौथा दिन है जबकि प्रश्नकाल में सभी प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गये हों। इससे पहले सभापति ने शून्यकाल के दौरान आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए जाने के दौरान केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को बात करने के दौरान टोका।

उन्होंने दस्तावेज पटल पर रखने के लिए जब मंत्रियों के नाम पुकारे तब सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह को उनके मंत्रालय की ओर से दस्तावेज पटल पर रखना था। लेकिन सिंह सदन में मौजूद नहीं थे।

इस पर सभापति ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जब मंत्रियों के नाम सूची में रहते हैं तो उन्हें अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए और अगर किसी कारणवश वह मौजूद नहीं हो सकते तो उन्हें इसकी सूचना भी देना चाहिए।

सूत्रों के अनुसार नायडू ने उच्च सदन में 29 राजनीतिक दलों के नेताओं को छह दिसंबर को पत्र लिखकर समितियों की बैठकों में सदस्यों की कम उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने पार्टी के नेताओं से अपनी पार्टी में ऐसी व्यवस्था करने का अनुरोध किया है जिससे समितियों की बैठक में उनके दल के सदस्यों की उपस्थिति पर नियमित तौर पर निगरानी रखी जा सके। जिससे समितियों की बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति को सुनिश्चित किया जा सके। 

उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर नायडू ने पांच दिसंबर को विभाग संबंधी आठ संसदीय समितियों और राज्यसभा की 12 स्थायी समितियों के अध्यक्षों के साथ बैठक कर इस मामले में अपनी चिंता से उन्हें अवगत कराया था।