NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिए निर्देश- उपयोग न हों 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक
by Ankur Kumarनई दिल्ली। पर्यावरण को बचाने के केंद्र सरकार 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती वाले दिन से सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगा चुकी है। यानी इसके बाद सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद हो गया है। हालांकि कुछ-कुछ प्रोडक्ट्स पर अभी बैन नहीं है और उनके विकल्प तलाशे जा रहे हैं। आपको बता दें, सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान तो होता है ही साथ ही ये प्लास्टिक रिसाइकल भी नहीं होते हैं। अब इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया है कि देश के भीतर 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले किसी भी प्लास्टिक थैली का निर्माण, स्टॉक, बिक्री और उपयोग न किया जाए।
गौरतलब है कि प्लास्टिक कई माइक्रॉन में बनता है, लेकिन 40 माइक्रोमीटर (माइक्रॉन) या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं। ये पर्यावरण में ही रहेंगे और इनका विनाश करना भी संभव नहीं होता है। सिंगल यूज प्लास्टिक में सब्जी की पतली वाली पन्नी, जो आप सब्जी वाले से लेते हैं, सड़क पर ठेली पर मिलने वाले प्लास्टिक वाले चाय के कप, पानी की बोतल, कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल, कोल्ड ड्रिंक की स्ट्रा, ऑनलाइन शॉपिंग में सामान को रैप के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पॉलिथीन, बर्थडे पर केक के साथ मिलने वाला चाकू, चाट-पकोड़ी वाली प्लास्टिक की प्लेट्स, प्लास्टिक के चम्मच और कांटे और इसके अलावा डिस्पोजल आइटम्स आते हैं।
प्लास्टिक के विकल्प से खतरा क्या है?
अमेरिकी केमिस्ट्री काउंसिल एवं पर्यावरण अनुसंधान करने वाली कंपनी ट्रूकॉस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोल्ड-ड्रिंक बनाने वाली कंपनियां प्लास्टिक की जगह कांच, एल्यूमिनियम या फिर टिन का इस्तेमाल करने लगेंगी तो पर्यावरण में प्रदूषण पहले से ज्यादा फैलेगा। इसके अलावा खाने पीने का सामान और दूध-दही जैसे उत्पादों को अगर प्लास्टिक की जगह किसी और विकल्प का इस्तेमाल करके देंगी तो वो ग्राहकों की जेब पर असर डालेगा। क्योंकि अन्य विकल्प महंगे भी हैं।
आपने मॉल में देखा होगा वहां फल और सब्जियां प्लास्टिक में लिपटे होते हैं, दरअसल प्लास्टिक में रैप करने से फल और सब्जियां ज्यादा दिन तक चलती हैं। अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होगा तो भोजन की बर्बादी रोकने का भी दूसरा विकल्प खोजना होगा। इतनी सारी दिक्कतें हैं लेकिन पॉलिथीन का इस्तेमाल करना भी ठीक नहीं है सभी को पता है कि प्लास्टिक एक तो पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं दूसरा प्लास्टिक में पाए जाने वाले केमिकल शरीर में कैंसर जैसी बीमारियां भी पैदा करते हैं। फिलहाल वैज्ञानिक प्लास्टिक के विकल्प की तलाश में हैं।