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दिल्ली अग्नीकांडः दर्द से करहाते हुए की दोस्त को कॉल, ''मैं नहीं बचूंगा, परिवार का ख्याल रखना''

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रविवार की सुबह को देश की राजधानी से जो खबर आई उसे सुनकर सब दंग रह गए। दिल्ली के फिल्मिस्तान में एक बिल्डिंग में भयंकर आग लग गई और इस आग में झुलसकर 43 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। घटनास्थल पर हृदय विदारक दृश्य पसरा हुआ था। फैक्ट्री में काम कर रहे लोगों के रिश्तेदार और स्थानीय लोग घटनास्थल की ओर भाग रहे थे। आग की चपेट में आए लोगों के परेशान परिवार विभिन्न अस्पतालों में अपने संबंधियों को खोज रहे थे। जिस बिल्डिंग में आग लगी वहां जो लोग अंदर थे उनपर उस समय क्या बीत रही थी इसका दर्द तो वहीं जान सकते हैं। लेकिन एक दर्द भरा वाक्य हम आपको बताना चाहते हैं। 

आग को बढ़ता देख जब वहां फसे हुए 30 साल के मुशर्रफ अली उर्फ मूसा को बाहर जाने का कोई रास्ता न दिखा तो उसने अपने एक दोस्त से फोन पर बात की। अपनी मौत को सामने देखकर दोस्त से की हुई बाते बेहद भावुक हैं। मूसा ने अपने पड़ोस में रहने वाले एक दोस्त को फोन लगाया। बातचीत के दौरान वह कई बार रोने लगा और उसकी आवाज भी लड़खड़ा रही थी। उसने फोन पर बताया कि बिल्डिंग में आग की वजह से धुंआ भर जाने के कारण सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी। उसने कहा, 'अब सांस भी नहीं आ रही है, भैया...। भैया, क्या होगा भैया? भैया गए अब तो। अब दो-चार मिनट का मामला है।' उसने दोस्त मोनू से पूछा कि क्या वह अब भी फोन लाइन पर है? उसने कहा, 'हेलो?' जब उधर से आवाज आई तो मूसा ने कहा, 'ठीक है भैया मोनू? जैसे-तैसे मेरे घर को चला लियो... बच्चों के बड़े होने तक... या अल्लाह... अभी किसी को मत बताना... आराम से बताना... और तैयारी कर लियो यहां आने का।'

उसने मोनू से निजामुद्दीन के किसी व्यक्ति से उधार के 5 हजार रुपये वसूलने को भी कहा। इस पर मोनू ने उसे ढाढस बंधाया, 'कर लेंगे भैया... तू टेंशन मत ले... आ रहे हैं भैया... वो गाड़ी नहीं आई क्या? पानी वाली? कोशिश कर बचने की... निकलने का रास्ता नहीं है?' जवाब में मूसा ने कहा, 'भागने का कोई रास्ता नहीं है, भैया।' दर्द से उसकी कराह बढ़ गई जो फोन कॉल में रिकॉर्ड हो गई है।
 

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Web Title: Delhi AgniKand: Call to friend, groaning with pain, "I will not escape, take care of family"