शाह बोले- 1947 के शरणार्थियों को नागरिकता मिली, तभी मनमोहन PM और आडवाणी डिप्टी पीएम बने

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला बिल लोकसभा में पेश कर दिया। अभी इस बिल की संवैधानिक वैधता पर लोकसभा में चर्चा हो रही है। बिल का कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी पार्टियां कड़ा विरोध कर रही हैं। बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि, 1947 में आए शरणार्थियों को नागरिकता मिली, तभी मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और लालकृष्ण आडवाणी उप-प्रधानमंत्री बने। यह बिल किसी का अधिकार नहीं छीनता है।

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सोमवार को बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि, किसी भी देश की सरकार का ये कर्तव्य है कि सीमाओं की रक्षा करे, घुसपैठियों को रोके, शरणार्थियों और घुसपैठियों की पहचान करे। कौन सा ऐसा देश है जिसने बाहर के लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून न बनाया हो। हमने भी ऐसा कानून बनाया है। हमने एकल नागरिकता का प्रावधान किया है। सभी को राजनीति से ऊपर उठकर इस मुद्दे पर सोचना चाहिए। उन्हें क्रूरतापूर्वक सताया जा रहा था और उसके बाद ही वे अपने देश को छोड़ कर यहां आए।

शाह ने कहा कि, 1947 में जितने भी शरणार्थी आए सभी भारतीय संविधान द्वारा स्वीकार किए गए। शायद ही देश का कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहाँ पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थी नहीं रह रहे हों। मनमोहन सिंह जी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी जी तक सभी इसी श्रेणी के हैं। उन्होंने भारत के विकास में योगदान दिया है। वे देश के प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री बने है क्योंकि देश ने उनको स्वीकारा और उनको नागरिकता प्रदान की।

अमित शाह ने कहा कि, 1971 के युद्ध और बांग्लादेश के गठन के बाद भी शरणार्थियों को नागरिकता दी गई और हमारी पार्टी समेत किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। मैं उत्तर पूर्व के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस बिल से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। उत्तर पूर्व की संस्कृति की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। हम मणिपुर की घाटी की समस्या का समाधान करेंगे। इस बिल के तहत मणिपुर को इनर लाइन सिस्टम में लाएंगे। लोग युगांडा, श्रीलंका और कई अन्य घटनाओं के दौरान भी यहां आए थे। हमने तब कोई विरोध नहीं किया। ऐसे करोड़ों लोग हैं जो इस समय पीड़ित हैं। मैं बंगाल और कांग्रेस के सांसदों को चुनौती देता हूं कि वे साबित करें कि विधेयक किसी भी तरह से भेदभाव करने वाला है क्योंकि ऐसा नहीं है।