माता-पिता से प्राप्त धन पर नहीं लगता टैक्स, जानें नियम
by के.सी.गोदुका, चार्टर्ड एकाउंटेंट,नई दिल्लीसवाल - मेरे माता-पिता अब इस संसार में नहीं है। क्या उनकी मृत्यु के उपरान्त जो धन मुझे प्राप्त हुआ है उस पर आयकर दायित्व बनता है? -पंकज कुमार, पानीपत
जवाब - कोई भी धन माता-पिता की मृत्यु के उपरान्त उतराधिकारी के रुप में यदि किसी को प्राप्त होता है तो वह कर योग्य नहीं है। परन्तु ध्यान रहे इस प्राप्त धन को आप यदि कहीं निवेश करते हैं और उस निवेश से कोई आय होती है तो उस आय पर आपको आयकर अदा करना होगा। माता-पिता जीवित रहते भी मिले धन कर नहीं लगता है।
सवाल - हम दोनों पति-पत्नी सरकारी नौकरी पर हैं। हमने संयुक्त रुप से आवास ऋण (होम लोन) लिया है जिसमें माताजी का नाम भी है। माताजी का नाम इसलिए है कि जमीन की डीड माताजी के नाम पर ही है । हम दोनों पति-पत्नी होम लोन की किस्त अदा कर रहे हैं । माताजी एक गृहणी हैं। ऐसे में क्या होम लोन पर ब्याज के भुगतान की छूट हम दोनों कर दायित्व हेतु कर सकते है? -बी. के. बहुगुणा, उत्तराखंड
जवाब - जी नहीं। जमीन पर मालिकाना हक माताजी का है जो कि एक गृहणी है तथा उनकी कोई आय नहीं है। छूट के लिए संपत्ति पर मालिकाना हक अनिवार्य है। अत: आपको ब्याज के अदा करने पर आयकर में छूट प्राप्त नहीं होगी।
सवाल - मेरी पत्नी की एक आर.डी. बैंक में थी और वह इस वर्ष परिपक्व हुई है किन्तु उसमें वित्तीय वर्ष 2017-18 में ब्याज पर टीडीएस काटा गया जबकि वह आयकर के दायरे में नहीं आती थी। मुझे इसकी जानकारी बैंक द्वारा नहीं दी गई, ना हीं फॉर्म 16 दिया। अगर जानकारी होती तो 15 एच फॉर्म दिया जा सकता था। क्या अब इस टीडीएस का रिफंड लिया जा सकता है? -अरविंद कुमार, पिथौरागढ
जवाब - वैसे तो कर निर्धारण वर्ष 2017-18 से यह नियम लागू हो गया था कि संबंधित वित्तीय वर्ष की कर विवरणी उसके संबंधित कर निर्धारण वर्ष की समाप्ति के बाद जमा नहीं की जा सकती। परन्तु आयकर विभाग कुछ विशेष परिस्थितियों में देय तिथि के बाद भी अनुमति प्रदान करता है। इसमें आय से अधिक कर की कटौति का होना या रिफंड का बनना एक कारण है। इसके लिए आपको संबंधित आयकर आयुक्त को देरी का कारण बताते हुए प्रार्थना करनी होगी कि आपको आयकर विवरणी जमा करने की अनुमति प्रदान करें। ऐसा करके आप अपनी कर विवरणी जमा करके अपना रिफंड प्राप्त कर सकते हैं। यहां पर यह भी देखना होगा की आपका रिफंड कितना बनता है। इसका कारण यह है किक देरी से कर विवरणी जमा करने पर आपको धारा 234एफ के तहत जुर्माना भी अदा करना होगा जो कि आपके संदर्भ में अधिकतम एक हजार रुपये हो सकता है?
सवाल - मैं एक अध्यापक हूं। मेरी पत्नी एम.एड. कर रही है जिसकी वार्षिक फीस 60 हजार रुपये है। वह पूर्णतया मुझ पर ही निर्भर है। क्या मुझे आयकर में छूट मिल सकती है। यदि हां तो किस नियम के तहत? -प्रेम कुमार आर्य, अलीगढ
जवाब - आपको पत्नी की एम.एड की फीस पर कोई कर छूट प्राप्त नहीं होगी। छूट तभी प्राप्त होती है जब बच्चो की पढ़ाई हेतु भुगतान की गई हो।