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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फोटोः Freepik)

4 साल में आधी रह गई GDP, 2016-17 के बाद कभी नहीं बढ़ी

2019-20 की पहली त‍िमाही में 5 प्रत‍िशत और दूसरी त‍िमाही में उससे भी कम 4.5 प्रत‍िशत पर लुढ़क गई।

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बीते चार साल में जीडीपी करीब आधी रह गई है। 2015-16 में यह आठ प्रत‍िशत थी। इसके अगले वर्ष 0.2 प्रत‍िशत बढ़ कर 8.2 पर पहुंची। लेक‍िन, उसके बाद से बढ़ोत्‍तरी की रफ्तार कभी नहीं द‍िखी। 2017-18 में 7.2 और 2018-19 में 6.8 फीसदी पर रही। 2019-20 की पहली त‍िमाही में पांच प्रत‍िशत और दूसरी त‍िमाही में उससे भी कम 4.5 प्रत‍िशत पर लुढ़क गई।

इन आंकड़ों के बावजूद सरकार पूरी तरह आशावादी है। सरकार का मानना है क‍ि अब इससे ज्‍यादा ग‍िरावट नहीं हो सकती। ल‍िहाजा अगली त‍िमाही में सुधार की उम्‍मीद है। नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद जीडीपी का ग्राफ नीचे ही जा रहा है। व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण का मौजूदा आर्थ‍िक पर‍िदृश्‍य को लेकर कहना है क‍ि अर्थव्‍यवस्‍था की रफ्तार धीमी है, लेक‍िन यह मंदी नहीं है।

पूर्व व‍ित्‍त मंत्री मनमोहन स‍िंंह का कहना है क‍ि अर्थव्‍यवस्‍था की स्‍थ‍ित‍ि भयावह है। उनकी नजर में आर्थि‍क मानकों पर तो हम कमजोर हैं ही, लेक‍िन इससे भी ज्‍यादा च‍िंंता की बात यह है क‍ि अर्थ जगत में डर समाया हुआ है। डर सरकार द्वारा नाहक परेशान क‍िए जाने का, न‍िवेश डूब जाने का…आद‍ि। इसी डर से बैंक लोन देने में आनाकानी कर रहे हैं और लोग खर्च करने की हालत में नहीं बच रहे हैं।

बता दें क‍ि क‍िसी देश में एक तय समय-सीमा में तैयार सभी वस्‍तुओं और सेवाओं का जो कुल मौद्र‍िक या बाजार मूल्‍य बनता है, उसे ही सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं। यह देश की आर्थ‍िक सेहत का इंड‍िकेटर है। भारत में हर तीन महीने पर इसकी गणना की जाती है।

गणना दो तरह से होती है। एक में सभी आंकड़ों का रफ टोटल होता है, जबक‍ि दूसरे तरीके में महंगाई का असर समायोज‍ित करके गणना की जाती है। पहले तरीके से न‍िकाले आंकड़े को नॉम‍िनल और दूसरे को र‍ियल जीडीपी कहते हैं। र‍ियल जीडीपी को ऐसे समझ‍िए क‍ि क‍िसी सामान का दाम 20 फीसदी बढ़ा है और महंगाई दर पांच फीसदी है तो दाम में असल बढ़ोतरी 15 फीसदी मानी जाएगी।

जीडीपी बढ़ने का मतलब ज्‍यादा उत्‍पादन हो रहा है, ज्‍यादा सेवाएं दी जा रही हैं और उन सेवाओं का उपभोग भी ज्‍यादा लोग कर रहे हैं। अर्थव्‍यवस्‍था के ल‍िए यह अच्‍छी स्‍थ‍ित‍ि है। भारत में कृष‍ि, उद्योग और सेवा मुख्‍य रूप से तीन अहम क्षेत्र हैं, ज‍िनके आधार पर जीडीपी का आंकड़ा न‍िकाला जाता है।

देश में लोग जो भी खर्च करते हैं, उद्योग-धंधे में जो न‍िवेश होता है, सरकार की ओर से जो खर्च होता है, वह सब जोड़ द‍िया जाता है। कुल न‍िर्यात में कुल आयात को घटा द‍िया जाता है। इस आंकड़े को भी पहले वाले कुल जोड़ में शाम‍िल कर जीडीपी की गणना की जाती है। जीडीपी को जनसंख्‍या से भाग देकर प्रत‍ि व्‍यक्‍त‍ि जीडीपी न‍िकाली जाती है।

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