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इतिहास में बहुत महत्व रखता है देवी कात्यायनी को समर्पित छतरपुर मंदिर, जानें रहस्यमयी बातें

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भारत में सभी देवी-देवताओं की आस्था से जुड़े चमत्कारी मंदिर हैं जहां भक्तों की भीड़ हमेशा देखने को मिलता है। आज हम आपको देवी कात्यायनी को समर्पित छतरपुर मंदिर के बारे में बताएंगे, दरअसल मां कात्यायनी के श्रृंगार के लिए रोजाना दक्षिण भारत से खास रंगों के फूलों से बनी माला मंगवाई जाती है। लेकिन देवी का यह भव्य रूप सिर्फ नवरात्र और पूर्णिमा जैसे खास मौकों पर ही देखने को मिलते हैं। अन्य दिनों में मां के दर्शन के लिए ऊपर बने भवन में जाना पड़ता है।

मंदिर का है इतिहास है रोचक- ऐतिहासिक दृष्टि से भी मंदिर की काफी महत्ता है। इस मंदिर की स्थापना 1974 में कर्नाटक के संत बाबा नागपाल के प्रयास से हुआ है। आज जहां माता यह भव्य मंदिर खड़ा वहां कभी छोटी सी कुटिया हुआ करती थी और धीरे-धीरे मंदिर परिसर 70 एकड़ क्षेत्रफल तक फैल गया। इस मंदिर में मां दुर्गा अपने छठवें कात्यायनी के रौद्र स्वरूप में विराजमान हैं। जिनके एक हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर और दूसरे में खड्ग है।

मनोकामना पूरी होती है ऐसे- छतरपुर मंदिर में जैसे ही आप प्रवेश करते हैं तो आपको एक बड़ा सा पेड़ दिखाई देता है, जहां श्रद्धालु मन्नत की चुनरी, धागे, चूड़ी आदि बांधते है। मंदिर की मान्यता के अनुसार ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ऐसे होता है माता का श्रृंगार- देवी कात्यायनी का श्रृंगार रोज सुबह 3 बजे से शुरू किया जाता है, जिसमें इस्तेमाल हुए वस्त्र, आभूषण और माला इत्यादि दोबार माता को धारण नहीं कराए जाते। इसके अलावा माता को खास रंगों की फूलों की माला से सुसज्जित किया जाता है। यहां आपको भगवान शिव, विष्णु, श्री गणेश-माता लक्ष्मी, हनुमान जी और श्रीराम-माता सीता आदि के दर्शन भी हो जाते हैं। इस मंदिर की एक खास बात है कि यह ग्रहण में भी खुला रहता है और नवरात्रों के दौरान इसके द्वार 24 घंटे अपने भक्तों के लिए खुले रहते हैं।

छतरपुर मंदिर में खास- छतरपुर मंदिर के परिसर में लगभग 20 छोटे-बड़े मंदिर हैं जो अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित हैं। जिनका निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। मंदिर में माता के दरबार के साथ बाबा नागपाल का भी भव्य कक्ष भी है। जहां बाबा की प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है। यहां बने बाबा के शयनकक्ष, बैठक और मोम से बनी प्रतिमूर्ति एकदम आपका ध्यान अपनी ओर खींचती है।

शिवजी भी हैं यहां दिव्य रूप में विराजमान- छतरपुर स्थित मां कात्यायनी मंदिर में मां दुर्गा के नौ रुपों के बीच भव्य शिवलिंग भी स्थापित है। भगवान शिव के इस अलौकिक रूप की भव्यता की अनुभूति यहां आते ही आपको होती है। वहीं आपको माता की सेवा में यहां महावीर हनुमान जी के भी दर्शन हो जाते हैं। अपने रक्त वर्ण में हनुमान जी की शोभा देखते ही बनती है।

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Web Title: chhatarpur temple