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Mid Day Meal Scheme In Narendra Modi Govt: 'मिड डे मील या मौत की मील', पिछले चार साल में देशभर में 931 बच्चे पड़े बीमार, झारखंड में आंकड़ा 259 और महाराष्ट्र में 201.

Mid Day Meal Scheme In Narendra Modi Govt: ‘मिड डे मील या मौत की मील’, पिछले चार साल में देशभर में 931 बच्चे पड़े बीमार, झारखंड में आंकड़ा 259 और महाराष्ट्र में 201

Mid Day Meal Scheme In Narendra Modi Govt: मिड डे मील आज फिर चर्चा में है. दरअसल में यूपी के सोनभद्र जिले में एक लीटर दूध में एक बाल्टी पानी मिलाकर 81 बच्चों को पिला दिया गया. इससे पहले यूपी में ही नमक से साथ रोटी खाने का मामला भी उजागर हो चुका है. केंद्रीय मानल संसाधन विकास मंत्री ने खुद माना है कि यूपी में मिड मील स्कीम में पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है. इसके अलावा 2016 से लेकर अब तक देशभर में कुल 931 बच्चे मीड डे मील का भोजन खाने के बाद बीमार पड़ चुके हैं.

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नई दिल्ली. Mid Day Meal Scheme In Narendra Modi Govt: मिड डे मील योजना का मकसद बच्चों के अंदर पढ़ाई के लिए रुचि पैदा करना है. लेकिन जब भी इससे जुड़ी कोई खबर आती है, उससे देखकर दुख ही होता है. मोदी सरकार भले ही मिड डे मील को लेकर पीठ थपथपाती हो, लेकिन ‘नमक से रोटी’ और ‘मिलावटी दूध’ जैसे मामले इस स्कीम की कुछ और ही दशा बता रहे हैं. मोदी सरकार में एचआरडी मिनिस्ट रमेश पोखरियाल ने खुद माना है कि उत्तर प्रदेश मिड डे मील के मामले में सबसे फिसड्डी है.

गांव-देहात में छोटे-छोटे बच्चे भूखे पेट स्कूल पहुंचते हैं या फिर जो बच्चे सुबह खाना खाकर भी आते हैं, उन्हें भी दोपहर तक भूख लग जाती है. तो ऐसे ही बच्चों के लिए मिड डे मील एक सहारा बना हुआ है, लेकिन मासूमों को नहीं पता कि उनकी सेहत और भविष्य के साथ सरकारें खिलवाड़ कर रही हैं. कुछ दिन पहले ही यूपी के मिर्जापुर में नमक के साथ रोटी खाते हुए बच्चों का वीडियो वायरल हुआ था. वहीं मिड डे मील में घोटाले की ताजा बानगी भी यूपी की है. यहां के अब सोनभद्र जिले के एक सरकारी स्कूल में 81 बच्चों को एक लीटर दूध में एक बाल्टी पानी मिलाकर दे दिया गया. ‘नमक रोटी’ मामला उजागर करने वाले पत्रकार पर तो योगी सरकार ने मामला दर्ज कर लिया था.

पिछले तीन साल में मिलीं 52 शिकायतें
मिड डे मील में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते ही रहते हैं. कभी बासी खाना परोस दिया जाता है, तो कभी टॉयलेट में भोजन पकाने की तस्वीरें भी सामने आ चुकी हैं. इसके अलावा खाने में चूहे, छिपकली मिलने की खबरों से भी हम वाकिफ होते ही रहे हैं. गुजरात के गांधीनगर जिले के कलोल तालुका के जमला गांव में मिड मील के खाने में मरा हुआ चूहा मिला था. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ने खुद संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि पिछले तीन साल में मिड डे मील स्कीम में भ्रष्टाचार के 52 मामले दर्ज हुए हैं.

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यूपी भ्रष्टाचार में अव्वल
गौर करने वाली बात है कि इन 52 मामलों में से सबसे ज्यादा मामले योगी आदित्यनाथ की सरकार वाले उत्तर प्रदेश के हैं. उत्तर प्रदेश में मिड डे मील स्कीम में घोटाले के 14 मामले दर्ज हुए हैं. आंकड़े आने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी योगी सरकार पर हमला बोला था. ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के मुखिया रोज ढोल पीटते हैं कि ये ऐक्शन हुआ-वो ऐक्शन हुआ, लेकिन असल में केवल दिखावा हो रहा है. सारा भ्रष्टाचार बीजेपी सरकार की नाक के नीचे हो रहा है. MHRD की रिपोर्ट कह रही है कि मिड-डे मील में भ्रष्टाचार के मामले में यूपी नम्बर वन पर है.

इन राज्यों की हालत भी खराब
उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार भी आंकड़ों में कम पीछे नहीं है. नितीश कुमार की सरकार में 11 भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल 06, महाराष्ट्र 05, राजस्थान 4, असम, दिल्ली, हरियाणा में 2-2 शिकायतें मिली हैं. वहीं ओडिशा,पंजाब, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, झारखंड, और उत्तराखंड में एक-एक शिकायत दर्ज हुई है.

मिड मील में भ्रष्टाचार का अंत में खामियाजा बच्चों को ही भुगतना पड़ता है. नमक रोटी, मिलावटी दूध के मामले नए नहीं हैं. कहीं कहीं तो ऐसा खाना बनता है कि भोजन खाने से बच्चों की जान तक चली जाती है. बात यहीं खत्म नहीं होती है, जिस जगह खाना पकाया जाता है, वहां पर भी लापरवाही का आलम ऐसा होता है कि सिलेंडर फटने से बच्चों की जानें चली जाती हैं. मध्य प्रदेश के दामोह जिले में मिड डे मील बाथरूम में पकाने घटना सामने आई थी.

झारखंड में सबसे अधिक बच्चे बीमार
सरकार आंकड़ों के मुताबिक 2016 से लेकर अब तक 931 बच्चे मिड मील का खाना खाने से बीमार पड़ चुके हैं. इन मामलों में सबसे ज्यादा बच्चे झारखंड राज्य के हैं, जहां पर 259 बच्चे मिड डे मील खाकर बीमार पड़ गए. दूसरे नंबर पर है महाराष्ट्र है, जहां पर यह आंकड़ा 201 है. यूपी में 154 बच्चे, तमिलनाडु में 78, छत्तीसगढ़ में 60, बिहार 54, आंध्र प्रदेश 44, दिल्ली 38 और जम्मू कश्मीर में 25 बच्चे मिड डे मील खाकर बीमार पड़ गए.

क्या कहना है मोदी सरकार का
इन आंकड़ों पर मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल का कहना है कि राज्य की सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस मामले में जवाब मांगा गया है. सरकारों से जल्द से जल्द एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) देने के कहा गया है. जांच के अलावा केंद्र सरकार ने विभागी कार्रवाई भी शुरू कर दी है.

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