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गोवा के गवर्नर बनने के बाद कश्मीर पर बोले सत्यपाल मलिक, कहा- आज की रात बचेंगे, तो कल सहर देखेंगे

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पणजी: जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने घाटी में अपने कार्यकाल के दौरान सुरक्षा हालात का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक रात उन्हें 'पाकीजा' फिल्म की एक गजल की अंतिम पंक्ति 'आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे' याद आती थी। मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद वहां कोई भी अनहोनी घटना नहीं हुई है। 

इस महीने के शुरू में गोवा के गवर्नर के रूप में शपथ लेने वाले मलिक का कहना है कि उनमें कश्मीर का 'खुमार' अब तक उतरा नहीं है। वह जम्मू कश्मीर राज्य के अंतिम गवर्नर थे। उल्लेखनीय है कि केंद्र ने पांच अगस्त को घाटी के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। उन्होंने कहा कि मुझे पाकीजा फिल्म की एक गजल की अंतिम पंक्ति हर रात याद आती थी। 

मलिक ने कहा कि इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां स्थिति कितनी खराब थी और जिंदगी हर वक़्त दांव पर लगी होती थी। उन्होंने कहा कि आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे। वहां काफी खतरे थे।।। मेरे वहां पहुंचने के बाद, 17 वर्ष के अंतराल के बाद वहां पंचायत चुनाव हुए। सभी पार्टियों ने उनका बहिष्कार किया, हुर्रियत ने बहिष्कार किया, आतंकवादियों ने धमकी दी थी कि वे सभी उम्मीदवारों को मार देंगे। मलिक ने कहा कि आपको ये जानकर बेहद ख़ुशी होगी कि चुनाव में 4000 लोग चुने गए, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।

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पणजी: जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने घाटी में अपने कार्यकाल के दौरान सुरक्षा हालात का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक रात उन्हें 'पाकीजा' फिल्म की एक गजल की अंतिम पंक्ति 'आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे' याद आती थी। मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद वहां कोई भी अनहोनी घटना नहीं हुई है। 

इस महीने के शुरू में गोवा के गवर्नर के रूप में शपथ लेने वाले मलिक का कहना है कि उनमें कश्मीर का 'खुमार' अब तक उतरा नहीं है। वह जम्मू कश्मीर राज्य के अंतिम गवर्नर थे। उल्लेखनीय है कि केंद्र ने पांच अगस्त को घाटी के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। उन्होंने कहा कि मुझे पाकीजा फिल्म की एक गजल की अंतिम पंक्ति हर रात याद आती थी। 

मलिक ने कहा कि इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां स्थिति कितनी खराब थी और जिंदगी हर वक़्त दांव पर लगी होती थी। उन्होंने कहा कि आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे। वहां काफी खतरे थे।।। मेरे वहां पहुंचने के बाद, 17 वर्ष के अंतराल के बाद वहां पंचायत चुनाव हुए। सभी पार्टियों ने उनका बहिष्कार किया, हुर्रियत ने बहिष्कार किया, आतंकवादियों ने धमकी दी थी कि वे सभी उम्मीदवारों को मार देंगे। मलिक ने कहा कि आपको ये जानकर बेहद ख़ुशी होगी कि चुनाव में 4000 लोग चुने गए, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।