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पैर की नो बॉल को पकड़ने और अंपायर्स की मदद करने के लिए BCCI कर रही है टेक्नॉलजी पर काम

बोर्ड रन आउट कैमरा का इस्तेमाल नो बॉल को पकड़ने के लिए भी कर रहा है ताकि अंपायर गेंदबाज की कमी को पकड़ सकें. आईपीएल के बीते संस्करण में इस बात को लेकर काफी बवाल हुआ था क्योंकि कई मैचों में अंपायर गेंदबाज की पैर की नो बॉल को पकड़ नहीं पाए थे.

क्रिकेट में कई बार ऐसा देखा गया है जब अंपायर्स के फैसले गलत साबित हो जाते हैं तो वहीं कई बार तीसरे अंपायर्स की मदद से इन फैसलों को सही करार दे दिया जाता है. लेकिन अक्सर इन फैसलों को लेकर अंपायर्स या दूसरी टीमों को फजीहत झेलना पड़ता है जिनके हक में ये फैसले जाते हैं. ऐसा ही कुछ नो गेंद के साथ भी होता है जब कोई खिलाड़ी नो गेंद डाल देता लेकिन अंपायर का ध्यान उस वक्त नहीं जाता. इसी को देखते हुए अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इस बात को लेकर काफी प्रयास कर रहा है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के अगले सीजन में मैदानी अंपायरों को पैर की नो बॉल को पकड़ने में तकनीक की मदद मिले.

यह प्रयास भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में लागू किया गया था लेकिन बोर्ड इसे अब आगे भी जारी रखने के बारे में विचार कर रहा है.

बोर्ड रन आउट कैमरा का इस्तेमाल नो बॉल को पकड़ने के लिए भी कर रहा है ताकि अंपायर गेंदबाज की कमी को पकड़ सकें. आईपीएल के बीते संस्करण में इस बात को लेकर काफी बवाल हुआ था क्योंकि कई मैचों में अंपायर गेंदबाज की पैर की नो बॉल को पकड़ नहीं पाए थे.

सिर्फ आईपीएल में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भी यह विवाद रहा था क्योंकि दूसरे दिन के दो सत्र में 21 नो बॉल पकड़ में नहीं आ सकी थीं.

बीसीसीआई के संयुक्त सचिव जयेश जॉर्ज ने  कहा कि यह नए तरीकों को लागू करने की बात है और नए अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कि तकनीक का पूरा इस्तेमाल किया जा सके.

उन्होंने कहा, "हां, यह काम अभी प्रगति पर है. आईपीएल हमेशा प्रयोग के लिए रहा है. हमारी कोशिश है कि आईपीएल का हर सीजन नई तकनीक को लेकर आए और खेल को आगे ले जाने में मदद करे. अहम बात यह है कि जब तकनीक इस तरह के मुद्दे सुलझाने में मदद कर सकती है तो फिर खिलाड़ी क्यों भुगते?"

संयुक्त सचिव ने कहा, "अतीत में हमने देखा है कि पैर की नो बाल एक विवादित मुद्दा रहा है. मेरा यह मानना है कि तकनीक पैर की नो बॉल को पकड़ने के लिए उपयोग में ली जा सकती है. इसके लिए बड़े पैमाने पर जांच की जरूरत है और हम विंडीज सीरीज में भी यह जारी रखेंगे."

उनसे जब पूछा गया कि क्या विंडीज सीरीज को लेकर जो डाटा मिलेगा क्या उस पर आईपीएल की गर्विनंग काउंसिल और बोर्ड के अधिकारी चर्चा करेंगे? इस पर जवाब मिला, "जब पूरा डाटा आएगा तो मैं अपने साथियों के साथ इस पर चर्चा करेंगे और फिर आगे बढ़ने को लेकर विचार करेंगे."

तीसरे अंपायर द्वारा जो कैमरा रन आउट की जांच करने के लिए उपयोग में लिए जाते हैं वही कैमरा नो बॉल की जांच के लिए उपयोग में लिए जाएंगे. यह कैमरा एक सेकेंड में 300 फ्रेम को कैद करते हैं. इन कैमरा को ऑपरेटर अपनी इच्छा के मुताबिक जूम कर सकता है.

यह प्रस्ताव इस महीने की शुरुआत में आईपीएल की गर्विनंग काउंसिल में रखा गया था और काउंसिल के सदस्य ने कहा था, "अगर अगले आईपीएल में सभी कुछ अच्छा रहा तो आप नियमित अंपायरों के अलावा नो बॉल को परखने के लिए अलग से अंपायर देख सकते हैं. यह विचार थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन यह मुद्दा आईपीएल की गर्विनंग काउंसिल की बैठक में उठा था."